नई दिल्ली। दिल्ली शराब घोटाला मामले (Delhi liquor scam case) में आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) के विधायक दुर्गेश पाठक (MLA Durgesh Pathak) को जमानत मिल गई है। दुर्गेश पाठक एक समन के जवाब में कोर्ट में दाखिल हुए थे। इसके बाद 1 लाख रुपए के बॉन्ड भरने के बाद उन्हें दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट (Rouse Avenue Court) से जमानत मिल गई है। मगर विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा ने इस मामले में दिल्ली के मुख्य मंत्री अरविंद केजरीवाल (Chief Minister Arvind Kejriwal) की न्यायिक हिरासत को 25 सितंबर तक के लिए बढ़ा दिया है। आपको बता दें कि आम आदमी पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति के वरिष्ठ सदस्य दुर्गेश पाठक को केजरीवाल का काफी करीबी माना जाता है।
12 अगस्त को कोर्ट ने सीबीआई को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और दुर्गेश पाठक के खिलाफ अब खत्म हो चुकी दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति 2021-22 घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी है। इस मामले में अरविंद केजरीवाल की न्यायिक हिरासत 25 सितंबर तक बढ़ा दी गई है। उन्हें तथा हिरासत में बंद अन्य आरोपियों को तिहाड़ जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए पेश किया गया।
केजरीवाल की मर्जी से खर्च हुआ रुपया
इसके साथ ही केंद्रीय जांच एजेंसी ने पिछले महीने अदालत को बताया था कि उसने मामले में केजरीवाल और पाठक के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए आवश्यक मंजूरी प्राप्त कर ली है। इसके अलावा सीबीआई ने दावा किया है कि कथित उत्पाद शुल्क घोटाले से प्राप्त पैसे का उपयोग केजरीवाल की इच्छा के अनुसार हुआ है। इन्होंने 2022 के गोवा विधानसभा चुनावों में अपनी पार्टी के प्रत्येक उम्मीदवार को 90 लाख रुपये देने का वादा किया था।
साउथ ग्रुप ने नीति बदलने के दिए 100 करोड़
यह दावा किया गया है कि विजय नायर को केजरीवाल द्वारा नियुक्त किया गया था। इनका काम दक्षिण ग्रुप के साथ समझौते पर बातचीत करना था। इस साउथ ग्रुप में बीआरएस नेता के कविता, राघव मगुंटा, अरुण पिल्लई जैसे तमाम लोग शामिल थे। सीबीआई ने बताया कि साउथ ग्रुप के व्यापारियों और नेताओं ने केजरीवाल की पार्टी को इस शराब नीति में बदलाव करने के लिए 100 करोड़ की रिश्वत दी थी।
रिश्वत का पैसा चुनावों में हुआ इस्तेमाल
सीबीआई ने दावा किया कि पाठक को गोवा चुनाव के लिए पार्टी प्रभारी के रूप में नियुक्त किया गया था। रिश्वत के जरिए मिले पैसों को उनके निर्देशों पर ही खर्च किया गया था। इसमें आरोप लगाया गया कि चुनाव खर्च से जुड़े सभी लेन-देन नकद में किए गए।
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