नई दिल्ली । शहरों में वायु प्रदूषण (air pollution) और स्वास्थ्य (Health) पर हेल्थ इफ़ेक्ट इंस्टीट्यूट (health effect institute) की ओर से जारी नई रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली और कोलकाता (Kolkata) दुनिया के दो सबसे प्रदूषित शहरों में से एक हैं. दुनियाभर के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में चीन (China) के पांच तो भारत (India) के तीन शहर शामिल हैं. इस रिपोर्ट ने भारत की राजधानी को पीएम 2.5 के कारण प्रति 1 लाख आबादी में 106 मौतों के साथ 6वें स्थान पर रखा गया है. वहीं कोलकाता प्रति 100,000 लोगों में 99 मौतों के साथ 8वें स्थान पर आया है. चीन की राजधानी पीएम 2.5 के कारण होने वाली ऐसी 124 मौत की वजह से पहले स्थान पर है.
इस अध्ययन में कुल 7,000 शहरों को शामिल किया गया था. हालांकि आबादी के अनुसार केवल 106 शहरों को ही रैंकिंग के लिए उपयोगी माना गया. वहीं NO2 एक्सपोज़र के लिहाज से बात करें तो टॉप 20 में एक भी भारतीय शहर शामिल नहीं है. पड़ोसी देश चीन का शंघाई शहर का NO2 औसत एक्सपोज़र को लेकर सबसे बुरा हाल रहा है. इस रिपोर्ट में चिंता की बात यह है कि दुनिया भर में बड़ी संख्या में वैश्विक शहरों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के PM 2.5 और NO2 दोनों के मानदंडों को क्रॉस कर लिया है.
रिपोर्ट में 2019 में दिल्ली का औसत पीएम 2.5 एक्सपोजर 110 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर पाया गया, जो कि 5 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर के डब्ल्यूएचओ बेंचमार्क का 22 गुना है. कोलकाता का औसत एक्सपोजर 84 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर था. वहीं शंघाई में औसत NO2 एक्सपोजर 41.6 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर था, इसके बाद रूस में मॉस्को (40.2 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर) शहर था. NO2 एक्सपोज़र के लिए WHO का मानक 10 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है. NO2 मुख्य रूप से वाहनों से और बिजली संयंत्रों के माध्यम से निकलता है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2019 में, अध्ययन में शामिल 7,000 से अधिक शहरों में से 86% में प्रदूषकों का जोखिम WHO के मानक से अधिक था, जिसकी वजह से लगभग 2.6 बिलियन लोग प्रभावित हुए हैं. अध्ययन ने 2019 में पीएम 2.5 जोखिम को दिल्ली में 29,900 कोलकाता में 21,380 और मुंबई में 16,020 मौतों का कारण माना हैं.
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