नई दिल्ली । दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने सौम्या विश्वनाथन हत्याकांड में (In Soumya Vishwanathan Murder Case) दोषियों की अपील पर (On appeal of Convicts) पुलिस से जवाब मांगा (Seeks Response from Police) । दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2008 में टीवी पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की हत्या के मामले में निचली अदालत द्वारा दोषी ठहराए गए चार लोगों की अपील पर मंगलवार को दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा, जिसमें उन्होंने अपनी दोष सिद्धि और आजीवन कारावास की सजा को चुनौती दी है।
साकेत कोर्ट ने नवंबर में दोषी रवि कपूर, अमित शुक्ला, बलजीत मलिक और अजय कुमार को उम्रकैद की सजा सुनाई थी, जबकि पांचवें दोषी अजय सेठी को तीन साल कैद की सजा सुनाई गई थी। पिछले सप्ताह, मलिक और शुक्ला ने वकील अमित कुमार के माध्यम से ट्रायल कोर्ट के 18 अक्टूबर 2023 के उन्हें दोषी ठहराने के फैसले और 25 नवंबर 2023 की सजा के खिलाफ अपील दायर की थी। उन्होंने अपील लंबित रहने के दौरान सजा को निलंबित करने की भी मांग की थी।
अदालत ने मंगलवार को अधिकारियों से दोषियों की सजा को निलंबित करने की मांग वाली अंतरिम अर्जी पर जवाब दाखिल करने को भी कहा और इसे 12 फरवरी को सुनवाई के लिए पोस्ट कर दिया। हाल ही में हाई कोर्ट ने कपूर की पैरोल याचिका भी खारिज कर दी थी। न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने कपूर के व्यापक आपराधिक रिकॉर्ड, अपराधों की गंभीरता और जेल परिसर के भीतर उनके आचरण को देखते हुए याचिका खारिज कर दी थी।
कपूर ने पारिवारिक संबंधों और घुटने की सर्जरी का हवाला देते हुए चार सप्ताह की पैरोल मांगी थी। हालाँकि, अदालत ने कहा कि वह सर्जरी के दावे के लिए कोई भी सहायक दस्तावेज़ उपलब्ध कराने में विफल रहा और 2002 से 2010 तक लगभग 20 आपराधिक मामलों में शामिल होने के कारण उसकी आदतन अपराधी स्थिति पर ध्यान दिया। अभियुक्तों को दोषी ठहराते हुए निचली अदालत ने कहा था कि अपराध “दुर्लभतम” मामलों की श्रेणी में नहीं आता है, और मौत की सजा के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया था।
कपूर, शुक्ला, कुमार और मलिक को महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) प्रावधानों के तहत और सेठी को चोरी की संपत्ति प्राप्त करने के लिए दोषी ठहराया गया था। पुलिस ने उसकी हत्या का कारण डकैती बताया था और आरोपियों के खिलाफ सख्त मकोका लगाया था। नेल्सन मंडेला मार्ग पर 30 सितंबर 2008 को विश्वनाथन की उस समय गोली मारकर हत्या कर दी गई, जब वह अपनी कार में काम से घर लौट रही थीं।
मलिक, कपूर और शुक्ला को पहले 2009 में आईटी कार्यकारी जिगिशा घोष की हत्या में दोषी ठहराया गया था। घोष की हत्या के लिए ट्रायल कोर्ट ने कपूर और शुक्ला को मौत की सजा सुनाई और मलिक को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इसके बाद, अगले वर्ष, उच्च न्यायालय ने घोष हत्या मामले में मलिक की आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखते हुए कपूर और शुक्ला की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया।
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