नई दिल्ली । दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने सोमवार को 28 सप्ताह की गर्भवती (Who is 28 weeks Pregnant) 20 वर्षीय अविवाहित महिला को (To an unmarried Woman) गर्भपात की अनुमति देने से इनकार कर दिया (Refused permission for Abortion) । कोर्ट ने कहा कि वह पूर्ण रूप से विकसित भ्रूण के गर्भपात की अनुमति नहीं देगा।
न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद उस याचिका पर विचार कर रहे थे, जिसे अब खारिज कर दिया गया है। न्यायाधीश ने कहा, “मैं 28 सप्ताह के पूरी तरह से विकसित भ्रूण के गर्भपात की अनुमति नहीं देने जा रहा हूं। रिपोर्ट में मुझे भ्रूण में कोई असामान्यता नहीं दिख रही है। भ्रूणहत्या की अनुमति नहीं दी जा सकती।” महिला द्वारा अपनी गर्भावस्था को चिकित्सकीय रूप से समाप्त करने की अनुमति मांगने के बाद अदालत ने एक फरवरी को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। डॉक्टरों ने गर्भपात करने से इनकार कर दिया था, क्योंकि यह 24 सप्ताह की कानूनी रूप से स्वीकार्य सीमा से अधिक हो गया था।
महिला ने अपनी याचिका में दावा किया कि सहमति से बनाए गए संबंध से उसे हाल ही में अपनी गर्भावस्था का पता चला। महिला के वकील अमित मिश्रा ने कहा कि उसे गर्भावस्था के बारे में 25 जनवरी को तब पता चला, जब वह पहले से ही 27 सप्ताह की गर्भवती थी। वकील ने कहा कि उसकी अविवाहित स्थिति और उसके परिवार के भीतर उसकी स्थिति की गोपनीयता पर विचार किया जाना चाहिए। मिश्रा ने अदालत से आग्रह किया कि अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) को महिला की मानसिक और शारीरिक स्थिति के साथ-साथ भ्रूण की स्थिति को ध्यान में रखते हुए उसकी चिकित्सकीय जांच करने का निर्देश दिया जाए।
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