नई दिल्ली । दिल्ली हाईकोर्ट से केजरीवाल सरकार को झटका लगा है। दिल्ली हाईकोर्ट ने प्राइवेट अस्पतालों को अपने आईसीयू में 80 फीसदी बेड कोरोना के मरीजों के लिए आरक्षित रखने के दिल्ली सरकार के आदेश पर रोक लगा दी है। जस्टिस नवीन चावला की बेंच ने दिल्ली सरकार के आदेश को संविधान की धारा 21 के खिलाफ बताया।
कोर्ट ने कहा कि बीमारी खुद कभी आरक्षण का आधार नहीं बन सकती है। याचिका एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर ने दायर की है। याचिका में दिल्ली सरकार के आदेश को रद्द करने की मांग की गई थी। दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है। याचिका में कहा गया है कि दिल्ली सरकार के इस आदेश से कोरोना के अलावा दूसरे रोगों से पीड़ित मरीजों को इलाज में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा।
याचिका में कहा गया है कि दिल्ली सरकार का ये फैसला बिना पूर्व विचार-विमर्श के लिया गया है। फैसला लेने के पहले वर्तमान में रोगियों की जरुरतों का ध्यान नहीं रखा गया है। याचिका में कहा गया है कि दिल्ली सरकार का फैसला मनमाना और गैरकानूनी है। याचिका में कहा गया है कि निजी अस्पतालों में कोरोना के इलाज के लिए 40 फीसदी आईसीयू बेड आरक्षित करने की मांग की है।
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