नई दिल्ली । दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court)के जज यशवंत वर्मा (Judge Yashwant Verma)की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। जस्टिस वर्मा(Justice Verma) के आवास पर आग लगने की घटना(fire incident) के बाद नोटों की 4 से 5 अधजली बोरियां मिलने की जांच प्रक्रिया दूसरे महत्वपूर्ण चरण में पहुंच गई है। बता दें कि देश के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने केस की जांच के लिए 3 सदस्यीय पैनल का गठन किया है। अब जांच की आंतरिक प्रक्रिया दूसरे महत्वपूर्ण चरण में पहुंच गई है। इसके निष्कर्षों से जस्टिस वर्मा के भाग्य का फैसला होगा।
रिपोर्ट के मुताबिक, 14 मार्च को लुटियंस दिल्ली के पॉश इलाके में जस्टिस वर्मा के आधिकारिक आवास के स्टोररूम में आग लगने की घटना के बाद कथित तौर पर दमकल और पुलिस कर्मियों ने कैश बरामद किया था। दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय की ओर से 21 मार्च को जारी की गई अपनी रिपोर्ट में आरोपों की गहन जांच की मांग की गई थी।
इसके बाद सीजेआई ने 3 सदस्यीय पैनल का गठन कर दिया। इस पैनल में जस्टिस शील नागू (पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश), जस्टिस जीएस संधावालिया (हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश) और कर्नाटक हाईकोर्ट की न्यायाधीश अनु शिवरामन शामिल हैं। इस पैनल को शनिवार शाम को सार्वजनिक किया गया। हालांकि, समिति की जांच पूरी करने के लिए कोई समयसीमा तय नहीं की गई है।
इन-हाउस प्रक्रिया के पहले चरण में शिकायत में शामिल आरोपों की सत्यता का प्रथम दृष्टया पता लगाया जाता है। जांच के अंतिम चरण में पैनल अपने छानबीन के निष्कर्षों को दर्ज करेगा और सीजेआई को एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा। पैनल यह बताएगा कि जज के खिलाफ लगाए गए आरोपों में कोई दम है या नहीं… यदि आरोपों में दम है तो पैनल यह भी बताएगा कि क्या जज पर लगा कदाचार इतना गंभीर है कि उनको हटाने के लिए कार्यवाही शुरू करने की जरूरत है।
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