नई दिल्ली । दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने यूनीक आईडेंटिटी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) को निर्देश दिया है कि उन 400 से अधिक लोगों की जानकारी दिल्ली सरकार (Delhi Government) को मुहैया कराए जिन्हें राष्ट्रीय राजधानी में सिविल डिफेंस (civil defense) के प्रशिक्षण में शामिल होने के लिए कथित रूप से फर्जी आधार कार्ड जारी किए गए थे।
दिल्ली सरकार ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मांग की है कि यूआईडीएआई को इस मामले की जांच कर रही भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) को इन लोगों से जुड़ी जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया जाए। दिल्ली सरकार की याचिका को मंजूर करते हुए जस्टिस चंद्रचूड़ सिंह ने ये निर्देश जारी किया। सिविल डिफेंस मामले में एसीबी ने भ्रष्टाचार निरोधक कानून तथा भादंसं की विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया है।
जस्टिस सिंह ने कहा, कोर्ट याचिका को मंजूर करने के लिए तैयार है। प्रतिवादी को निर्देश दिया जाता है कि आधार कानून के प्रावधानों के तहत जांच के उद्देश्य से संलग्नक में दिए गए व्यक्तियों के संबंध में जरूरी जानकारी उपलब्ध कराए। जांच एजेंसी को भी निर्देश दिया जाता है कि कानून के प्रावधानों का सम्मान करते हुए, मुहैया कराई गई सूचना के आधार पर मामले की जांच करे।
जिलाधिकारी ने बनवाए थे फर्जी कार्ड
याचिका के अनुसार दिल्ली सरकार के भ्रष्टाचार निरोधक शाखा के सामने विजेंदर गुप्ता नामक व्यक्ति ने शिकायत दी है कि डीटीसी बसों में मार्शल की जिस प्रकार नियुक्ति की गई है वह अवैध है। शिकायत में कहा गया है कि भर्ती प्रक्रिया में हेर-फेर की गई और जिलाधिकारी ने जाली सर्टिफिकेट जारी किए, जिसमें राजस्थान के 400 से अधिक लोगों को जाली आधार कार्ड बनाकर दिल्ली का निवासी प्रमाणित किया गया और इस मद में हर व्यक्ति से दो-दो लाख रुपये वसूले गए।
छुट्टी वाले दिन जिलाधिकारी कार्यालय के आधार केंद्र में किया फर्जीवाड़ा
इसके लिए जिलाधिकारी कार्यालय में चलने वाले आधार केंद्र को छुट्टी वाले दिन खोलकर वहां से दिल्ली के फर्जी पतों वाले आधार कार्ड बनाए गए। इस शिकायत के आधार पर जनवरी 2020 में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। अभियोजन ने कोर्ट को बताया कि तात्कालीन जिलाधिकारी ने पद का दुरुपयोग कर अवैध लोगों को गलत नीयत से लाभ पहुंचाया। कुल 450 लोगों का फर्जी आधार कार्ड बनाकर सिविल डिफेंस का प्रशिक्षण दिलाया गया।
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