नई दिल्ली । दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने बुधवार को सभी समाचार चैनलों और अन्य मीडिया संगठनों द्वारा (By All News Channels and Other Media Organizations) श्रद्धा वालकर हत्याकांड में (In Shraddha Walkar Murder Case) दायर आरोपपत्र के तथ्य (Facts of Charge Sheet Filed) प्रदर्शित या प्रकाशित करने पर (On Display or Publication) रोक लगा दी (Banned) । साकेत कोर्ट परिसर की अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) मनीषा खुराना कक्कड़ ने सोमवार को दिल्ली पुलिस को प्राथमिकी से संबंधित किसी भी सामग्री को प्रसारित करने या प्रकाशित करने से रोकने के लिए ऊंची अदालत में आवेदन करने की अनुमति दी थी।
न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर ने बुधवार को दिल्ली पुलिस की याचिका पर आदेश पारित करते हुए कहा कि नार्को टेस्ट और सीसीटीवी फुटेज के ऑडियो पर भी यह आदेश लागू होगा। अदालत ने कहा कि आरोपपत्र तक पहुंच रखने वाला कोई भी मीडिया चैनल या संगठन इस सामग्री को अपने चैनल पर प्रदर्शित नहीं करेगा। अदालत ने केंद्र को यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया कि कोई भी चैनल इस तरह की सामग्री प्रदर्शित न करे और इसे 3 अगस्त को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कक्कड़ ने कहा था, उक्त दस्तावेज का प्रकाशन, विशेष रूप से सीसीटीवी फुटेज, भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा) के तहत आरोपी के निष्पक्ष परीक्षण के अधिकार को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है, और चैनल को अनुमति नहीं दी जा सकती है कि उस सामग्री का प्रसारण करें ताकि मीडिया ट्रायल किया जा सके। उन्होंने 2001 के दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले का भी हवाला दिया जिसमें कहा गया था कि कार्यवाही शुरू होने के बाद मीडिया का न्याय प्रशासन में कोई स्थान नहीं है।
तब समाचार चैनल के वकील ने अदालत में हलफनामा दिया था कि चैनल अगले तीन दिनों के लिए वॉयस लेयर्ड टेस्ट, नार्को विश्लेषण, या डॉ. प्रैक्टो के ऐप पर ली गई बातचीत की सामग्री को प्रसारित, प्रकाशित या अन्यथा उपलब्ध नहीं कराएगा। विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद ने दावा किया था कि क्योंकि डिजिटल सामग्री संवेदनशील है, इसे प्रसारित करने से कानून-व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने के अलावा आरोपी के निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार को खतरा होगा।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved