नई दिल्ली । दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi HC) ने बुधवार को एक जनहित याचिका (PIL) पर केंद्र से जवाब मांगा (Seeks Centre Response) है, जिसमें वृद्ध सांडों और भैंसों के वध (Cattle Slaughter) पर पूर्ण प्रतिबंध (Total Ban) लगाने की मांग की गई (Seeking) है।
चीफ जस्टिस डी. एन. पटेल और जस्टिस ज्योति सिंह की बेंच ने इस मामले में नोटिस जारी कर केंद्र से 15 मार्च तक जवाब दाखिल करने को कहा है।मध्य प्रदेश निवासी ब्रिशभान वर्मा, जो एक सामाजिक कार्यकर्ता होने का दावा करते हैं, द्वारा अधिवक्ता प्रशांत शुक्ला के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि गायों के वध पर प्रतिबंध बैल और भैंसों तक भी बढ़ाया जाना चाहिए, क्योंकि ऐसे मवेशी, जानवरों के तौर पर वृद्ध होने के बाद भी कृषि कार्य या प्रजनन में सहायता करते हैं।
याचिका में कहा गया है कि बैल और भैंस गोबर और मूत्र प्रदान करना जारी रखते हैं जिसे किसान या तो खाद और उर्वरक के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं या मालिकों द्वारा इसे बेचा जा सकता है।इसने आगे तर्क दिया कि संविधान के अनुच्छेद 48 की व्याख्या, जिसमें कहा गया है कि किसी भी जानवर और उनकी संतान की हत्या/वध पर प्रतिबंध, नर समकक्ष को बाहर करता है और संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत याचिकाकर्ता के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।
जानवरों के लिंग की ओर इशारा करते हुए, याचिका में कहा गया है, यदि किसी व्यक्ति के वध पर प्रतिबंध है, तो नर और मादा दोनों पर प्रतिबंध है। (अगर) मोर पर प्रतिबंध है, तो मोरनी भी प्रतिबंध (वध करने का) होगा। लेकिन आदेश स्पष्ट रूप से वृद्ध बैल भैंसों के वध के बारे में है।
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