नई दिल्ली: पहाड़ से लेकर मैदानी इलाकों तक बारिश (Rain) कहर बनकर टूट रही है. तमाम शहर जलमग्न हो गए हैं. सड़कें और पुल (roads and bridges) तेज पानी के बहाव में बह गए हैं. दूर-दूर तक चारों तरफ सिर्फ पानी ही नजर आ रहा है. लोग घरों में फंस गए हैं. सड़कों पर इतना पानी है कि कार और दुपहिया (two wheeler) वाहन डूब गए हैं. राजधानी दिल्ली की बात करें तो पिछले 12 घंटे में 126 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है. पिछले कई घंटों से हो रही भयंकर बारिश ने दिल्ली (Delhi) को एक बार फिर 1978 और 2010 की याद दिला दी है.
दरअसल, मौसम विभाग (weather department) के मुताबिक दिल्ली में 24 घंटे में 150 मिलीलीटर बारिश हुई है. यानी मौसम में जितनी बारिश होती है, उसकी 20 प्रतिशत पिछले 24 घंटे में ही हो चुकी है. वहीं रविवार को हरियाणा के हथिनी कुंड बैराज से 1 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है. इसके चलते दिल्ली सरकार ने बाढ़ की चेतावनी जारी कर दी है. दिल्ली प्रशासन का कहना है कि यमुना में पानी का स्तर मंगलवार तक खतरे के निशान को पार कर जाएगा. लिहाजा यमुना किनारे रहने वाले लोगों के लिए भी अलर्ट जारी किया गया है.
राजधानी में यमुना के जलस्तर में तेजी से इजाफा हो रहा है. इसके चलते दिल्ली के पुराने लोहे के पुल के पास यमुना खतरे के निशान के करीब पहुंच चुकी है. केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) के मुताबिक रविवार को दोपहर 1 बजे यहां यमुना का जल स्तर 203.18 मीटर था. चेतावनी स्तर 204.5 मीटर है, जो कि मंगलवार को 205.33 मीटर को पार कर जाएगा. इसके चलते राजधानी के निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है और इससे यहां रहने वाले करीब 37,000 लोग प्रभावित हो सकते हैं. वहीं हरियाणा से और अधिक पानी छोड़े जाने पर हालात बदतर हो सकते हैं.
मौसम विभाग के मुताबिक राष्ट्रीय राजधानी में बारिश ने पिछले 41 वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. कारण, ये पहला समय है जब 1982 के बाद जुलाई में एक दिन में सबसे ज्यादा 153 मिमी बारिश हुई है. इससे पहले 25 जुलाई 1982 को 169.9 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई थी. वहीं साल 2003 में 24 घंटे में 133.4 मिमी तो 2013 में 123.4 मिमी बारिश दर्ज हुई थी. बारिश का सिलसिला अभी भी रुका नहीं है. अगले कई दिनों तक भी बारिश होने की संभावना जताई गई है.
साल 1978 का ये वो समय था जब राजधानी में भयंकर बाढ़ आई थी और कई इलाके जलमग्न होने से लाखों लोग प्रभावित हुए थे. तब राजधानी के कई इलाके पूरी तरह से पानी में डूब गए थे और लोगों के घरों में पानी घुस गया था. करीब 43 वर्ग किलोमीटर खेत पानी में डूब गए थे और फसल बर्बाद हो गई थी. इससे संपत्तियों को व्यापक नुकसान हुआ था और और लाखों लोग अपने घरों को छोड़ने को मजबूर हुए थे.
1978 में शहर के कई इलाके पूरी तरह से बाढ़ में घिर गए थे. इसका मुख्य कारण था हरियाणा से आने वाला पानी. तब यमुना में 2 लाख 24 हज़ार 390 क्यूसेक पानी अचानक आ गया था. उस समय लोहे के पुल पर यमुना का स्तर 207.49-मीटर के निशान को छू गया था. ये पहली और आखिरी बार था जब यमुना का स्तर इतने ऊपर तक गया है. हालांकि इसके बाद दो बार और यमुना का स्तर 207 मीटर के निशान को पार कर गया था. वो समय था 2010 (207.11 मीटर) और 2013 (207.32 मीटर). 2010 में यमुना में 2 लाख 26 हज़ार 535 क्यूसेक पानी आया था, जबकि 2013 में 3 लाख 65 हज़ार 573 क्यूसेक पानी पहुंचा था.
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved