नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi assembly elections) के लिए उम्मीदवारों की दो लिस्ट (Two lists of Candidates) जारी कर चुकी भाजपा (BJP) को अंदरूनी बगावत का सामना करना पड़ रहा है। टिकट नहीं मिलने से कई नेता नाराज बताए जाते हैं। यह बात तब उजागर हुई जब दिल्ली भाजपा के कार्यालय (Delhi BJP office) के बाहर विरोध प्रदर्शन (Protest demonstration) किया गया। ऐसे में जब भाजपा 1998 से दिल्ली की सत्ता से बाहर है और वापसी के लिए जद्दोजहद कर रही है। नेताओं की नाराजगी पार्टी की चुनौती को और बढ़ा सकती है। इस रिपोर्ट में जानें अब तक कहां-कहां से उठा विरोध…
तुगलकाबाद से विरोध के सुर
बताया जाता है कि दक्षिण दिल्ली के तुगलकाबाद से प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने दिल्ली भाजपा कार्यालय के गेट पर धरना दिया और निर्वाचन क्षेत्र से उम्मीदवार बदलने की मांग की। प्रदर्शनकारियों ने नारे लगाए- विक्रम बिधूड़ी तुम संघर्ष करो; मोदी से बैर नहीं, रोहतास तेरी खैर नहीं। पार्टी नेताओं ने उन्हें शांत करने की कोशिश की।
पिछले चुनाव में हार गए थे विक्रम बिधूड़ी
बता दें कि विक्रम बिधूड़ी पार्टी के वरिष्ठ नेता रमेश बिधूड़ी के रिश्तेदार हैं। 2020 के विधानसभा चुनावों में विक्रम बिधूड़ी आप के सहीराम से 13,000 से अधिक मतों से हार गए थे। बता दें कि शनिवार को घोषित उम्मीदवारों में रोहतास बिधूड़ी को तुगलकाबाद सीट से मैदान में उतारा गया है।
करावल नगर में भी विरोध लेकिन डैमेज कंट्रोल
इतना ही नहीं करवाल नगर से पांच बार विधायक चुने गए निवर्तमान विधानसभा में सबसे वरिष्ठ भाजपा विधायक मोहन सिंह बिष्ट ने अपने गढ़ से चुनाव लड़ने के लिए टिकट नहीं मिलने पर खुले तौर पर नाराजगी जताई थी। उनका कहना था कि कपिल मिश्रा को उनकी जगह टिकट देने का पार्टी का फैसला गलत है। इसके नतीजे 5 फरवरी को दिखाई देंगे। हालांकि अब पार्टी ने उनको मना लिया है। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात के बाद उनको मुस्तफाबाद से टिकट दिया गया है।
मादीपुर और कोंडली में भी नाराजगी
पार्टी के सूत्रों का यह भी कहना है कि मादीपुर और कोंडली समेत विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों से टिकट नहीं दिए जाने पर दिल्ली भाजपा के अनुसूचित जाति मोर्चा के नेताओं में भी गहरी नाराजगी देखी जा रही है। पार्टी के एक शीर्ष पदाधिकारी का कहना है कि सीटें सीमित हैं और उम्मीदवार ज्यादा हैं, इसलिए स्वाभाविक है कि जो लोग टिकट पाने से चूक गए, उन्हें मायूसी होगी। देर-सवेर, सभी को यह बात समझ में आ जाएगी। सभी अपनी नाराजगी छोड़कर पार्टी की जीत के लिए काम करेंगे।
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