नई दिल्ली. दिल्ली (Delhi) में बीजेपी (BJP) ने 29 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी है. लिस्ट (first list) में पूर्व सांसदों के साथ दूसरी पार्टी से आए नेताओं को तरजीह तो दी गई है, लेकिन कुछ ऐसे पुराने नेता भी हैं जिनका नाम लिस्ट में नहीं है. इनमें चांदनी चौक के पूर्व सांसद डॉक्टर हर्षवर्धन (Dr. Harsh Vardhan) भी शामिल हैं. लोगों के मन में सवाल है कि क्या दिल्ली में बीजेपी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार रहे डॉक्टर हर्षवर्धन का राजनीतिक करियर (political innings) समाप्त हो गया है?
यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि डॉक्टर हर्षवर्धन इस विधानसभा चुनाव में अपनी परंपरागत सीट कृष्णा नगर से एक बार फिर उम्मीदवारी का दावा ठोक रहे थे. लेकिन उनकी जगह इस सीट पर डॉक्टर अनिल जैन को भाजपा ने उतारा है. अनिल जैन भी हर्षवर्धन की तरह पेशे से डॉक्टर हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में मौजूदा सांसद होने के बावजूद उन्हें चांदनी चौक से टिकट नहीं दिया गया था और वहां से प्रवीण खंडेलवाल सांसद बने. दो और पूर्व सांसदों जिनका टिकट लोकसभा चुनाव में काटा गया था, उन्हें विधानसभा चुनाव में टिकट देकर भरपाई की गई है. लेकिन डॉक्टर हर्षवर्धन को नजरअंदाज किया गया. अब उनके सामने चुनावी राजनीति के विकल्प न के बराबर हैं.
विधायक का टिकट कटा, लवली को तरजीह
कांग्रेस से बीजेपी में आए शीला सरकार के पूर्व मंत्री अरविंदर सिंह लवली को टिकट देने के लिए मौजूदा विधायकों की लिस्ट में से अनिल बाजपेई का पता साफ हो गया है. अनिल बाजपेई 2020 के चुनाव में बीजेपी के टिकट पर जीते उन सात विधायकों में से एक थे जिन्होंने आम आदमी पार्टी की लहर में भी पार्टी का झंडा बुलंद किया था. तब लवली कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े थे और बाजपेई से चुनाव हार गए थे. लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले अरविंदर लवली ने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थामा और उन्हें गांधीनगर की परंपरागत सीट पर टिकट देकर इनाम भी दे दिया गया है.
दो मौजूदा विधायकों की सीट अब भी पेंडिंग
पिछली बार आम आदमी पार्टी की आंधी में बीजेपी ने लक्ष्मी नगर और करावल नगर सीटें भी जीती थीं. लक्ष्मी नगर से बीजेपी के पूर्वांचली चेहरे अभय वर्मा ने जीत हासिल की थी. वहीं करावल नगर से मोहन सिंह बिष्ट को जीत मिली थी, जो राज्य में उत्तराखंडियों के बीच बीजेपी का चेहरा हैं. लेकिन जब बीजेपी की 29 उम्मीदवारों की लिस्ट आई तो उसमें वर्मा और बिष्ट का नाम शामिल नहीं दिखा. दरअसल अभय वर्मा की सीट लक्ष्मी नगर पर बीजेपी ने आम आदमी पार्टी के पूर्व विधायक नितिन त्यागी को पार्टी में लिया है. वहीं कभी बीजेपी के सीनियर नेता रहे बीबी त्यागी ने पार्टी छोड़ दी और आम आदमी पार्टी से चुनाव लड़ रहे हैं. अब असमंजस इस बात पर है की अभय वर्मा को रिपीट किया जाए या फिर नितिन त्यागी को आम आदमी पार्टी छोड़ने का इनाम दिया जाए.
करावल नगर सीट का मामला भी थोड़ा पेचीदा है. मोहन सिंह बिष्ट लगातार भाजपा से इस सीट पर चुनाव जीतते रहे हैं. लेकिन कभी अरविंद केजरीवाल के काफी करीबी और आम आदमी पार्टी सरकार में मंत्री रह चुके कपिल मिश्रा भी इसी सीट पर अपनी दावेदारी कर रहे हैं. कपिल मिश्रा की मां भी इसी इलाके से आती हैं और वह ईस्ट एमसीडी की मेयर भी रह चुकी हैं. अब बीजेपी में असमंजस पहाड़ी या फिर पूर्वांचली टिकट में बैलेंस बिठाने की है.
दूसरी पार्टी से आए सब नेताओं को टिकट नहीं
बीजेपी ने अपनी पहली लिस्ट में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी छोड़कर आए नेताओं को इनाम तो दिया है, लेकिन कई सारे ऐसे नेता अब भी हैं जिन्हें पुरस्कार का इंतजार है. गांधी नगर सीट पर भाजपा ने अपने विधायक का टिकट काटकर कांग्रेस से आए अरविंदर सिंह लवली को टिकट तो दे दिया, लेकिन उनके साथ ही बीजेपी में आए विश्वास नगर के पूर्व विधायक और कांग्रेस के सीनियर नेता नसीब सिंह को खाली हाथ रहना पड़ा. विश्वास नगर में बीजेपी ने मौजूदा विधायक ओपी शर्मा पर ही दांव लगाया और नसीब सिंह फिलहाल इंतजार में ही रह गए. कुछ यही हाल कस्तूरबा नगर में टिकट की उम्मीद लगाकर आए नीरज बसोया का भी है. नीरज ने भी लवली के साथ ही कांग्रेस छोड़कर बीजेपी जॉइन की थी.
नीरज भी कस्तूरबा नगर सीट से पूर्व विधायक हैं, लेकिन इस सीट पर माना जा रहा है कि मीनाक्षी लेखी की भी दावेदारी है, जो नई दिल्ली की पूर्व सांसद रही हैं. इसलिए फिलहाल यह सीट खाली रखी गई है. इसी तरीके से दिल्ली यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष रहे अमित मलिक भी रिठाला सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन वहां बीजेपी ने अपने पुराने नेता और पूर्व विधायक कुलवंत राणा पर ही दांव खेला. नजफगढ़ सीट पर टिकट की उम्मीद से कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए जय किशन शर्मा को अभी और इंतजार करना पड़ेगा. हालांकि वहां से कैलाश गहलोत के चुनाव लड़ने की चर्चा थी, लेकिन उनकी सीट बदल दी गई है. जय किशन शर्मा अपने बेटे के लिए नजफगढ़ से टिकट चाहते हैं, लेकिन पार्टी में इस सीट से कई और भी दावेदार हैं.
बिजवासन सीट पर क्या होगी बगावत?
बिजवासन ग्रामीण दिल्ली की सीटों में से एक है. यहां से बीजेपी के पूर्व विधायक रह चुके सत्य प्रकाश राणा और कई पार्षद भी टिकट की दावेदारी कर रहे थे. लेकिन उनकी दावेदारी को नजरअंदाज कर आम आदमी पार्टी छोड़कर आए पूर्व मंत्री कैलाश गहलोत को टिकट दे दिया गया. पिछले दिनों इस सीट पर लगातार लोकल कार्यकर्ता कैलाश गहलोत की दावेदारी का विरोध कर रहे थे. ऐसे में देखना यह भी होगा कि क्या इस चुनावी रण में बीजेपी को इस महत्वपूर्ण सीट पर बगावत झेलनी पड़ेगी? वैसे बीजेपी ने इस समय सिर्फ 29 सीटों पर ही उम्मीदवारी का ऐलान किया है. ऐसे में अब भी 41 सीटें ऐसी हैं जहां पर भाजपा अपने नेताओं को टिकट दे सकती है. इसलिए, जिनके रास्ते फिलहाल बंद दिख रहे हैं मुमकिन है आने वाले दिनों में उनकी किस्मत का ताला खुल जाए. लेकिन दावेदार इतने हैं कि सभी को खुश करना आसान तो नहीं होगा.
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