नई दिल्ली (New Delhi)। दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) (Delhi Development Authority -DDA) ने मजनू का टीला (Majnu Ka Tila) गुरुद्वारे ( Gurudwara.) के दक्षिण में अतिक्रमण के खिलाफ अभियान (Campaign against encroachment) को फिलहाल टाल दिया है। इससे पहले डीडीए ने नोटिस जारी कर लोगों से इस क्षेत्र को खाली करने के लिए नोटिस जारी किया था।
डीडीए शनिवार और रविवार को इस क्षेत्र में अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई करने वाला था। इस क्षेत्र में पाकिस्तान से आए (came from Pakistan) 170 हिंदू परिवार (170 Hindu families) रह रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि डीडीए ने अपना अभियान टालने का कोई तात्कालिक कारण नहीं बताया है।
इससे पहले डीडीए ने गुरुवार को जारी एक सार्वजनिक नोटिस में कहा था कि वह 13 और 14 जुलाई को मजनू का टीला गुरुद्वारे के दक्षिण में अतिक्रमण के खिलाफ अभियान चलाएगा। मजनू का टीला के रहने वाले पाकिस्तानी हिंदुओं ने कहा कि उन्हें गुरुवार देर शाम डीडीए का नोटिस मिला था।
डीडीए ने अपने नोटिस में यहां रह रहे लोगों से शुक्रवार तक इलाका खाली करने को कहा था। डीडीए के नोटिस में इस कदम के पीछे नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के 3 अप्रैल के आदेश और दिल्ली हाई कोर्ट के 12 मार्च के आदेश का हवाला दिया गया था।
डीडीए नोटिस में लिखा था कि एनजीटी और दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के अनुपालन में शनिवार और रविवार को गुरुद्वारा मजनू का टीला (वेस्टर्न बैंक) के दक्षिण में यमुना नदी के बाढ़ क्षेत्र में अतिक्रमण के खिलाफ अभियान चलाया जाएगा। नोटिस में कहा गया था कि यहां रहने वाले परिवार दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (डीयूएसआईबी) के आश्रय स्थलों में अस्थायी रूप से रह सकते हैं।
नोटिस में कहा गया था कि क्षेत्र के निवासियों से 12 जुलाई तक क्षेत्र खाली करने का अनुरोध किया जाता है। ऐसा नहीं करने पर वे 13 जुलाई या उसके बाद अतिक्रमण के खिलाफ चलाए दाने वाले अभियान के कारण होने वाले किसी भी नुकसान के लिए स्वयं जिम्मेदार होंगे।
3 अप्रैल को अपने आदेश में एनजीटी ने कहा था कि डीडीए द्वारा दायर स्थिति रिपोर्ट में क्षेत्र से अतिक्रमण हटाने के लिए एजेंसी द्वारा किसी भी प्रभावी कदम का खुलासा नहीं किया गया है। एनजीटी ने एजेंसी को सुनवाई की अगली तारीख यानी 15 जुलाई से कम से कम एक सप्ताह पहले ई-मेल द्वारा अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था।
बता दें कि लोकसभा चुनाव से पहले मजनू का टीला में रहने वाले पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थियों में से कुछ लोगों को नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के तहत नागरिकता प्रमाण पत्र दिए गए थे।
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