नई दिल्ली: देश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल AIIMS का सर्वर हैक करने के पीछे भी चीन की ही नापाक साजिश थी. केंद्रीय परिवार कल्याण एवं स्वास्थ्य मंत्रालय के एक सीनियर अधिकारी ने यह बड़ा खुलासा किया है. उन्होंने कहा है कि एफआईआर के मुताबिक यह साइबर हमला चीन की ओर से हुआ था. हैकर्स ने 100 सर्वर में पांच को हैक कर लिया था. हालांकि इन पांचों सर्वर से डाटा को निकाल लिया गया है.
सबसे पहले 23 नवंबर को सिस्टम में गड़बड़ी हुई और दो दिन बाद दिल्ली पुलिस की इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस (IFSO) यूनिट ने जबरन वसूली और साइबर आतंकवाद का मामला दर्ज किया. हालांकि, पुलिस ने इन खबरों का खंडन किया है कि हैकर्स ने सिस्टम को रिस्टोर करने के लिए फिरौती के तौर पर क्रिप्टोकरेंसी में 200 करोड़ रुपए मांगे.
एम्स में अपॉइंटमेंट से लेकर बिलिंग व मरीजों और विभागों के बीच रिपोर्ट शेयर करने तक लगभग सभी सेवाएं ऑनलाइन हैं, जोकि कि पूरी तरह से प्रभावित हो गई थीं. इसके लिए अतिरिक्त कर्मचारियों को तैनात किया गया क्योंकि अस्पताल को मैनुअल मोड में चलाया जा सके.
मरीजों का डेटा हैकर्स के निशाने पर रहा. हर साल, टॉप नेता, नौकरशाह और जज सहित लगभग 38 लाख मरीज एम्स में इलाज करवाते हैं. आईटी इमरजेंसी टीमों के अलावा शीर्ष खुफिया और आतंकवाद विरोधी एजेंसियों ने मामले पर काम किया क्योंकि सभी 5,000 से अधिक कंप्यूटर और सर्वर स्कैन किया गया.
सरकारी संस्थाओं में कमजोर हैं डेटा सुरक्षा उपाय- थरूर
यह मुद्दा दो दिन पहले संसद में उठा. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने इसकी पूरी जांच कराने और इसे दोबारा न होने के उपाय करने के लिए सरकार से अपील की. तिरुवनंतपुरम से सांसद ने लोकसभा में कहा, “हमले की उत्पत्ति, इरादा और सीमा स्पष्ट नहीं है.” उन्होंने जोर देकर कहा कि यह “शत्रुतापूर्ण सीमा पार हमला” होने की संभावना एक गंभीर चिंता का विषय है. उन्होंने आगे कहा, “यह हमारे देश में विशेष रूप से सरकारी संस्थानों में कमजोर डेटा सुरक्षा उपायों को भी दर्शाता है.”
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved