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    Delhi: 12 साल की बच्ची ने गांव के लिए मांगीं सुविधाएं, PM and President को लिखा पत्र

  • July 21, 2021

    नई दिल्ली। राजधानी के मटियाला विधानसभा (Matiala Assembly) क्षेत्र स्थित झुलझुली गांव (scorching village) में रहने वाली 12 साल की मिलन यादव (Milan Yadav) ने मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने की आवाज उठाई है। मिलन ने गांव की समस्याओं का समाधान कराने के लिए राष्ट्रपति (President), प्रधानमंत्री (Prime Minister), उपराज्यपाल (Lieutenant Governor) एवं दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of Delhi High Court) को पत्र लिखा है। आठ पेज के पत्र के साथ मिलन ने गांव की समस्याओं से जुड़ी तस्वीरें भी भेजी हैं। 

    इलाके के निजी स्कूल में छठी कक्षा में पढ़ रही मिलन यादव को राजनीति विज्ञान की किताब से गांवों में काम कराने के मामले में स्थानीय निकायों एवं पंचायतों की जिम्मेदारी का पता चला। दादा जिले सिंह से बात की तो उन्होंने बताया कि दिल्ली में वर्ष 1990 में पंचायती राज व्यवस्था खत्म हो चुकी है। गांवों में सुविधा मुहैया कराने का काम नगर निगम का है। इसके बाद मिलन ने चचेरी बहन आकृति यादव की मदद से गूगल पर नगर निगम एक्ट पढ़ा। उन प्रावधानों का पता किया, जिनके तहत गांवों में ग्रामीणों के लिए मूलभूत सुविधा मुहैया कराना आवश्यक है।


    नगर निगम का एक्ट पढ़ने के बाद मिलन ने अपने ताऊ सत्यपाल यादव एवं चचेरी बहन के साथ गांव में देखा तो वहां एक भी सुविधा नहीं मिली। उन्होंने समस्याओं की सूची बनाने के साथ उनके फोटो किए। इसके बाद चचेरी बहन की मदद से अंग्रेजी में पत्र लिखा। उन्होंने इस पत्र में गांव की टूटी सड़कों, गलियों, नाले व नालियों और लचर सफाई व्यवस्था की चर्चा की है। उन्होंने बरसाती पानी की निकासी की समुचित व्यवस्था नहीं होने पर जलभराव की समस्या की ओर ध्यान आकर्षित किया है।

    गांव में बने शौचालय की दुर्दशा पर भी प्रकाश डाला। साथ ही, उन्होंने गांव में स्वास्थ्य सेवाएं, खेल का मैदान, पार्क आदि नहीं होने पर भी चिंता जताई है। पत्र में उन्होंने नगर निगम एक्ट के तीन प्रावधानों के तहत गांव की समस्याओं का समाधान कराने और सुविधा मुहैया कराने का आग्रह किया है।

    राजनीति में जाने की नहीं इच्छा, बनना चाहती हैं शिक्षक
    मिलन यादव ने छोटी उम्र में गांव की दुर्दशा की ओर ध्यान आकर्षित करके बड़ा कार्य किया है, लेकिन बड़ी होकर वे राजनीति में जाने की कोई इच्छा नहीं रखतीं। वह शिक्षक बनना चाहती हैं। उनका कहना है कि शिक्षक से अच्छा कोई काम नहीं है। शिक्षक ही बच्चों का भविष्य तय करता है। शिक्षक ही बच्चों को शिक्षा देने के साथ-साथ जागरूक भी करता है।

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