इंदौर। एक पटवारी को कलेक्टर ने सस्पेंड तो कर दिया, लेकिन नियमानुसार तय अवधि में उसके खिलाफ चार्जशीट जारी नहीं की। इसके चलते हाई कोर्ट ने उक्त निलंबन आदेश को निरस्त कर दिया। मामला इस प्रकार है कि देवास के खातेगांव के पटवारी समर्थ जांगड़े को एक जून 2023 को कार्य के प्रति लापरवाही बरतने के आरोप में देवास कलेक्टर ने सस्पेंड कर दिया था। सेवा भर्ती नियम के अनुसार निलंबन आदेश जारी होने से 45 दिन में चार्जशीट (आरोप पत्र) जारी करना जरूरी है, जो नहीं की गई।
तत्पश्चात 63वें दिन 2 अगस्त 2023 को आरोप पत्र जारी किया गया। इस मामले को लेकर पटवारी ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की। पटवारी की ओर से अधिवक्ता कीर्ति पटवर्धन ने अपने तर्क में कहा कि एमपी सिविल सर्विसेस रूल्स की धारा 9 (5) के मुताबिक यदि निलंबन आदेश के 45 दिन की अवधि में आरोप पत्र जारी नहीं किया जाता है तो निलंबन आदेश भी निरस्त समझा जाएगा। उन्होंने इस आधार पर पटवारी का निलंबन आदेश निरस्त किए जाने की गुहार की। जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की बेंच ने याचिका स्वीकार करते हुए याचिकाकर्ता को सस्पेंड किए जाने का कलेक्टर देवास का आदेश निरस्त कर दिया।
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