नई दिल्ली (New Delhi)। अपनी सिंदूरी रंग (Vermillion colour) और रसीले मीठे स्वाद (juicy sweet taste) के मशहूर देहरादून की लीची (famous litchi of Dehradun) को सूरज के ताप (Sun’s heat) ने झुलसा दिया। कई दिन तक 40 डिग्री से अधिक रहे तापमान ने लीची को तय समय से पहले पका दिया है। लीची (litchi) पर रंग तो आ गया है लेकिन आकार भी छोटा है और उसमें पल्प भी कम है।
फल उत्पादक कुंदन सिंह कहते हैं कि आम के मुकाबले लीची संवेदनशील फल होता है। इसलिए गर्मी का सीधा असर पड़ता है। अकेले देहरादून ही नहीं प्रदेश में और क्षेत्रों में भी लीची के बुरे दिन चल रहे हैं। रामनगर के लीची उत्पादक दीपक सती बताते हैं इस साल की गर्मी ने लीची का काफी नुकसान पहुंचाया है।
मालूम हो कि अमूमन लीची के पकने के सही वक्त 10 से 15 जून के बाद माना जाता है। इस अवधि तक फल के दाने को विकसित होने का पूरा वक्त मिल जाता है। उद्यान विभाग के ताजा आंकड़ों के अनुसार उत्तराखंड में वर्तमान में 5218 हैक्टेयर क्षेत्र में लीची के बागीचे हैं।
इनसे हर साल 19 हजार 68 मीट्रिक टन लीची का उत्पादन होता है। संयुक्त निदेशक-उद्यान डॉ.रतन कुमार बताते हैं कि पिछले कुछ दिनों से उत्तराखंड में तापमान काफी ज्यादा रहा है। इसका सीधा सीधा असर फल की क्वालिटी पर पड़ता है।
गर्मी के कारण पौधे में जल की कमी होने लगती है। इससे दाना सूखना और फटना शुरू हो जाता है। इसका उपाय है कि रोजाना शाम को पेड़ को पर्याप्त पानी दें। साथ ही दोपहर की गर्मी से बचाने के लिए पेड़ पर पानी का स्प्रे किया जाना चाहिए। इससे नमी बनी रहेगी।
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