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    सम्राट अशोक कॉलेज के संचालक की डिग्रियां निरस्त

  • December 20, 2020

    • बीयू प्रबंधन जारी नहीं कर रहा नोटिफिकेशनप
    • एक समय में एमए, एम टेक और पीएचडी की डिग्री लेने का मामला

    भोपाल। सम्राट अशोक टेक्नोलॉजी कॉलेज विदिशा के संचालक जेएस चौहान द्वारा एक ही समय में तीन-तीन डिग्रियां हासिल करने का मामला सामने आया है। बरकतउल्ला विश्वविद्यालय भोपाल की कार्यपरिषद ने जेएस चौहान की तीनों डिग्री एमए, एम टेक औेर पीएचडी को निरस्त करने की अनुशंसा कर दी है। हालांकि विवि के कुलपति आरजे राव का कहना है कि किसी भी परिषद को किसी भी डिग्री निरस्त करने का अधिकार नहीं है। जनार्दन सिंह चौहान विदिशा सम्राट अशोक कॉलेज के संचालक हैं। उन्होंने एक ही समय में बरकतउल्ला विश्वविद्यालय भोपाल से एमए, एम टेक और पीएचडी की डिग्री हासिल की। इन्हीं डिग्रियों के आधार पर वे कॉलेज के संचालक बने। विवि अनुदान आयोग (यूजीसी) नई दिल्ली के निर्देश पर 1 सितंबर 2017 को चौहान की डिग्री जांचने की जांच शुरू हुई। इसके लिए विवि ने 5 जनवरी 2018 को जांच समिति गठित की। समिति ने चौहान को प्रथम दृष्टया दोषी मानते हुए 6 फरवरी 2018 को अपना पक्ष रखने का मौका दिया। इसके बाद चौहान ने पत्र के माध्मय से डिग्रियों की सत्यप्रति विवि में पेश की। 7 सितंबर 2018 को समिति ने अपनी अंतिम रिपोर्ट विवि को पेश की। इसके बाद विवि ने कोई कार्रवाई नहीं की तो मामला इंदौर हाईकोर्ट पहुंचा। हाईकोर्ट में विवि ने बताया कि जांच रिपोर्ट अंतिम निर्णय के लिए सक्षम प्राधिकारी के पास लंबित है। इसके बाद विवि ने 29 अगस्त 2020 को स्थाई समिति की बैठक में जेएस चौहान की रिपोर्ट पेश की। जिसमें समिति की अनुशंसा पेश की गई। जिसे मान्य किया गया। कार्यपरिषद की ओर से कुलपति ने भी अनुमोदन कर दिया। इसके बावजूद भी विवि ने डिग्री निरस्त करने का नोटिफिकेशन जारी नहंी करवाया है। विवि के कुलपति आरजे राव ने मामले को उलझा दिया है और चौहान का बचाव किया है। हालांकि क्रियान्वयन अकादमी परीक्षा गोपनीय शाखा के हवाल से विवि ने हाईकोर्ट में जवाब पेश किया कि मप्र विवि अधिनियम 1973 के तहत समिति की अनुशंसा के आधार पर जेएस चौहान की तीनों डिग्रियां निरस्त कर दी हैं। इसके बाद अभी तक डिग्री निरस्त करने की अधिसूचना जानी नहंीं हुई है।

    कुलपति बोले नुकसान-फायदा देख रहे
    किसी भी कमेटी को डिग्री निरस्त करने का अधिकार नहीं है, न ही अनुशंसा कर सकती है। इस मामले को एक्जीक्यूटिव काउंसिल (ईसी) को सौंपा है। वह देख रही है कि किसी का नुकसान और फायदा न हो। इसके बाद ही डिग्री निरस्त करने का फैसला होगा।
    आर.जे. राव, कुलपति, बीयू भोपाल

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