उज्जैन। कोरोना महामारी की शुरूआत में आयसीएमआर के इतने कड़े नियम थे कि जिस घर पर कोरोना मरीज पाया जाता, वह गली ब्लाक कर दी जाती। या फिर संबंधित घर के दोनों ओर के तीन से चार घरों को भी बेरीकेड्स से कव्हर कर दिया जाता। अब जिस घर में कोरोना मरीज निकलता है, उसके दरवाजे पर मात्र एक या दो बेरीकेड्स त्रिकोणाकार में लगा दिए जाते हैं।
ताजा मामला गुरूवार का सेठीनगर का है। एक मकान मालिक जोकि प्रथम तल पर रहते हैं, के भू तल पर रहनेवाले किराएदार को कोरोना हो गया। निगम की टीम आई और किराएदार के हद वाली दिवार पर बेरीकेड्स लगाकर क्वारेंटाईन कर दिया। मकान मालिक को अपने प्रथम तल तक जाने के लिए आधा गलियारा खुला रख दिया गया। नीचे कोरोना मरीज का परिवार क्वारेंटाईन और उपर मकान मालिक का परिवार खुला-खुला।
इस बात की जानकारी जब क्षेत्र में रहने वाले एक डॉक्टर को मिली तो उन्होने अपने परिचित प्रशासनिक अधिकारी को फोन लगाया। जवाब मजेदार आया: देखिये, जहां कोरोना मरीज,वहां कंटेनमेंट एरिया। बाकी सब खुला-खुला। जब यह पूछा गया कि वायरस की तीव्रता को लेकर आयसीएमआर की गाइड लाइन अलग है? जवाब आया: यह आदेश भी आयसीएमआर का ही है। इसके बाद डॉक्टर चुप हो गए। उन्होने इतना जरूर कहा : सर, नियमों के साथ वैज्ञानिक तथ्यों को भी देखिये। जहां कोरोना मरीज मिलता है उसे एपीसेंटर कहा जाता है,जो आस पास का प्रभावित क्षेत्र माना जाता है, उसे कंटैनमेंट एरिया कहते हैं। फिर यह सब एक जगह कैसे हो सकता है? जवाब फिर यही आया: आप गाइड लाइन क्यों नहीं पड़ते? जहां मरीज मिला,वही कंटेनमेंट एरिया, बस। समझ जाओ अब आप।
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