नई दिल्ली: भारत-चीन के बीच हाल ही में हुई सैन्य वार्ता के बाद भी सीमा पर गतिरोध जारी है. इन सब के बीच भारत के रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने ने बुधवार (21 फरवरी) को कहा कि भारत सीमा पर ‘धमकाने वाले’ चीन के खिलाफ मजबूती से खड़ा है और आशा करता है कि अगर समर्थन की जरूरत होगी तो संयुक्त राज्य अमेरिका वहां मौजूद रहेगा.
2020 से भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच पूर्वी लद्दाख में अलग-अलग मामलों पर गतिरोध बना हुआ है. रक्षा सचिव ने भारतीय और अमेरिकी रक्षा उद्योगों के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, “हम अपने उत्तरी पड़ोसी के साथ हमारे सामने आने वाली चुनौतियों पर चर्चा करना जारी रखेंगे. संभावना है कि हमें भी ऐसी ही स्थिति का सामना करना पड़ सकता है. 2020 में हमने जो सामना किया वह हमें हर समय सक्रिय रखता है.”
‘उम्मीद है कि अमेरिका साथ देगा’
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, गिरिधर अरमाने ने जोर देते हुए कहा कि जब भी भारत चीन का सामना करेगा उम्मीद है कि अमेरिका भारत के साथ खड़ा होगा. उन्होंने कहा, “हम बहुत दृढ़ निश्चय के साथ एक बुल्ली के खिलाफ खड़े हैं और हम उम्मीद करते हैं कि अगर हमें उनके समर्थन की आवश्यकता होगी तो हमारा मित्र (अमेरिका) हमारे साथ रहेगा.”
उन्होंने ये भी कहा कि यह जरूरी है कि भारत किसी साझा खतरे के खिलाफ संयुक्त राज्य अमेरिका के समर्थन के प्रति आश्वस्त महसूस करे. उन्होंने कहा, “एक मजबूत संकल्प कि हम एक आम खतरे के सामने एक-दूसरे का समर्थन करते हैं, हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण होगा.”
भारत-चीन सीमा विवाद का बतचीत से नहीं निकला हल
पिछले चार सालों में कई दौर की बातचीत हो चुकी है जिसमें कुछ हद तक कामयाबी मिली भी है लेकिन डेमचोक और देपसांग आज भी अनसुलझे मुद्दे बने हुए हैं. भारत-चीन कोर कमांडर-स्तरीय बैठक का 21वां दौर सोमवार को हुआ, लेकिन समाधान की दिशा में कोई महत्वपूर्ण प्रगति नहीं हुई. पिछले दौर की चर्चाओं में भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में शांति बहाली के लिए एक आवश्यक आधार के रूप में पूर्वी लद्दाख में एलएसी (वास्तविक सीमा रेखा) के साथ शेष क्षेत्रों में पूरी तरह संघर्ष रोकने की मांग की गई थी.
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