नई दिल्ली। डिफेंस सेक्टर (Defense Sector) में आत्म निर्भरता हासिल करने के लिए सरकार (Government) मेक इन इंडिया को बढ़ावा (Promotes Make in India) दे रही है। इसके चलते देश में रक्षा उत्पादन तेजी से बढ़ रहा है। प्राइवेट सेक्टर (Private sector), जो रक्षा उपकरणों के निर्माण (Manufacturing of defense equipment) में कभी पीछे रहता था, आज वह न सिर्फ तेजी से रक्षा उपकरण बना रहा है, बल्कि निर्यात भी कर रहा है। रक्षा मंत्रालय के अनुसार, पिछले सात वर्षों में निजी क्षेत्र का डिफेंस एक्सपोर्ट सात गुना तक बढ़ चुका है।
रक्षा मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2016-17 के दौरान देश में निजी क्षेत्र का रक्षा निर्यात महज 194 करोड़ था, पर 2023-24 में यह बढ़कर 13119 करोड़ पहुंच गया है। सात वर्षों में इसमें करीब सात गुना की बढ़ोतरी हुई है। दूसरी ओर सार्वजनिक रक्षा उपक्रमों के रक्षा निर्यात में कमी दिखाई दे रही है। 2016-17 के दौरान उनका रक्षा निर्यात 1327 करोड़ था, जो 2023-24 में 109 करोड़ दर्ज किया गया।
हालांकि, सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के रक्षा निर्यात में कमी दिखने की वजह यह भी है कि केंद्र ने करीब 70 रक्षा खरीद स्वदेशी उपकरणों की अनिवार्य कर दी है, जिसके चलते सरकारी रक्षा कंपनियों को भारतीय सेनाओं, अर्ध सैनिक बलों के लिए बड़े पैमाने पर आर्डर मिल रहे हैं।
पिछले साल 21 हजार करोड़ का रहा निर्यात
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, पिछले साल करीब 21 हजार करोड़ रुपये का रक्षा निर्यात किया गया था। इसमें उपरोक्त के अलावा बहुत सारी सामग्री ऐसी हैं, जो रक्षा और गैर रक्षा दोनों उद्देश्यों के लिए होती हैं। सरकार ने इस साल रक्षा निर्यात को 30 हजार करोड़ रुपये तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। पहले छह महीनों के दौरान यह नौ हजार करोड़ रुपये से भी अधिक का हो चुका है।
पांच निर्यातकों में शामिल होने का लक्ष्य
पिछले वर्ष 1.27 लाख करोड़ का रक्षा उत्पादन हुआ है, जो देश में अब तक का रिकॉर्ड है। जबकि, 2016-17 के दौरान यह 74 हजार करोड़ के करीब था। अभी भी भारत दुनिया के शीर्ष पांच रक्षा आयातकों में शामिल है। जबकि, निर्यात के मामले में वह 25वें स्थान पर है। कोशिश है आने वाले समय में भारत शीर्ष पांच रक्षा निर्यातकों में शामिल हो।
रक्षा उत्पादन में किसकी कितनी हिस्सेदारी (2023-24)
– निजी क्षेत्र 26506 करोड़
– पीएसयू 73945 करोड़
– नए पीएसयू 19662 करोड़
– संयुक्त उपक्रम 6774 करोड़
(नोट: आंकड़े रक्षा मंत्रालय)
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