नई दिल्ली। चीन (China) अपनी सैन्य ताकत (military power) में लगातार इजाफा कर रहा है यह भारत (India) से भी छुपा नहीं है। इसी को लेकर रक्षा मंत्रालय (Ministry of Defence) का साफतौर पर मानना है कि चीन वास्तव में अमेरिका (US) की बराबरी कर रहा है। इसके चलते चीन और पाकिस्तान से जिस प्रकार दोहरे मोर्चे पर खतरा उत्पन्न हो चुका है उसके हिसाब से वायुसेना (Air Force) के पास लड़ाकू विमानों (shortage of fighter jets) की कमी है।
संभवत यह पहली बार हुआ है जब संसदीय समिति की बैठक में रक्षा मंत्रालय ने स्पष्ट तौर पर चीन की ताकत की तुलना अमेरिका से की हो। इस बात को मार्च मध्य में संसद में पेश समिति की रिपोर्ट में भी बाकायदा उल्लेखित किया गया है।
भारत के पास नहीं हैं लड़ाकू विमानों की प्रयाप्त संख्या
दरअसल, चर्चा वायुसेना को दिए जाने वाले बजट को लेकर हो रही थी, जिस पर रक्षा मंत्रालय की तरफ से कहा गया कि अभी हमारे पास लड़ाकू विमानों की जो संख्या है वह दो प्रतिद्वंद्वियों को चुनौती देने के लिए पर्याप्त नहीं है। उनके मुकाबले के लिए वायुसेना को लंबी दूरी के हथियारों की खरीद करनी होगी। इसके लिए मौजूदा बजट संसाधनों का इस्तेमाल तो किया ही जाएगा, बल्कि अतिरिक्त धन की जरूरत भी पड़ेगी। यह मौजूदा आपरेशनल क्षमता को कायम रखने के लिए भी जरूरी है।
रक्षा पर काफी खर्च कर रहा चीन
रिपोर्ट में दर्ज ब्यौरे के अनुसार, संसाधनों की कमी और आसन्न दोहरे मोर्चे वाली चुनौती का मामला यहीं पर नहीं थमा। रक्षा मंत्रालय के प्रतिनिधि ने कहा कि चीन बहुत ज्यादा रक्षा पर खर्च कर रहा है। इसलिए उसके खतरे का दायरा भी बहुत बड़ा है। वास्तव में वह अमेरिका की बराबरी कर रहा है तथा उससे आगे निकलने की कोशिश कर रहा है।
रक्षा मंत्रालय के प्रतिनिधि ने कहा कि रक्षा मंत्री का आदेश है कि भारत के पास चीन के प्रतिरोध की क्षमता होनी चाहिए। इसके हिसाब से सरकार आवंटन कर रही है, लेकिन अभी भी कुछ कमियां बरकरार हैं जिन्हें धीरे-धीरे कम करना होगा।
क्या हैं चुनौतियां?
>> वायुसेना को दोहरे फ्रंट की चुनौतियों से निपटने के लिए लडाकू विमानों की 42 स्क्वाड्रन की जरूरत है लेकिन इस समय 32 स्क्वाड्रन ही उपलब्ध हैं।
>> एक स्क्वाड्रन में 18 विमान होते हैं। इस प्रकार वायुसेना के पास अभी 180 लडाकू विमानों की कमी है। चार स्क्वाड्रन मिग की हैं जो पुरानी हैं।
रक्षा व्यय में तीसरे नंबर पर भारत
चीन का रक्षा बजट भारत की तुलना में तीन गुना से भी ज्यादा है। अमेरिकी कांग्रेस बजट ऑफिस के आकडों के अनुसार, 2021 में चीन ने रक्षा पर 293 अरब डालर खर्च किए, जबकि भारत का व्यय महज 76.6 अरब डॉलर रहा। सबसे ज्यादा अमरीका ने 801 अरब डॉलर खर्च किए। रक्षा व्यय के मामले में भारत तीसरे नंबर पर है।
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