लेह. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defence Minister Rajnath Singh) ने पूर्व सैनिकों को संबोधित करते हुए कहा है कि जैसा आपने देश का ध्यान रखा है वैसा हम भी आप लोगों का ख्याल रखेंगे. उन्होंने ये बातें लेह में कही. राजनाथ सिंह रविवार से लद्दाख के तीन दिवसीय दौरे पर पहुंचे हैं. कहा जा रहा है कि वो वहां सेना की तैयारियों की समीक्षा भी करेंगे.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लेह में पूर्व सैनिकों को संबोधित करते हुए कहा, ‘हमारी सेना के जवानों, पूर्व सैनिकों के प्रति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के दिल में कितना सम्मान है ये मुझे बताने की जरूरत नहीं है. 30-40 सालों तक वन रैंक, वन पेंशन की समस्या चली आ रही थी. लेकिन नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनते ही वन रैंक, वन पेंशन की मांग को पूरा किया.’
उन्होंने आगे कहा, ‘हमारा मकसद है कि आप सभी का उसी तरह ध्यान रखा जाए, जिस तरह आप सभी ने देश की सुरक्षा का ख्याल रखा है. इसके बावजूद अगर आप लोगों को कहीं कोई परेशानी है, तो उसके लिए हेल्पलाइन नंबर के भी इंतज़ाम किए गए हैं. आप उस पर कॉल कर अपनी परेशानी हमसे शेयर कर सकते हैं.’
थल सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे के साथ सिंह का यह दौरा ऐसे वक्त हो रहा है जब दो दिन पहले भारत और चीन के बीच पिछले साल मई से शुरू सैन्य गतिरोध के समाधन के लिए नए दौर की कूटनीतिक वार्ता हुई है. लद्दाख के अपने दौरे के दौरान वह सीमा सड़क संगठन (BRO) द्वारा निर्मित आधारभूत संरचना की कुछ परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगे और क्षेत्र में तैनात जवानों के साथ संवाद करेंगे.’
सूत्रों ने बताया कि रक्षा मंत्री पूर्वी लद्दाख में ऊंचाई पर स्थित बेस और विभिन्न सैन्य संरचनाओं का जायजा लेने के साथ ही अस्थिर माहौल में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर पहरेदारी कर रहे जवानों का मनोबल बढ़ाएंगे.
सूत्रों ने बताया कि रक्षा मंत्री को सेना की 14 वीं कोर के लेह स्थित मुख्यालय में पूर्वी लद्दाख (Ladakh) में समग्र स्थिति के बारे में विस्तृत जानकारी दी जाएगी. इस कोर को लद्दाख सेक्टर में एलएसी की रक्षा करने का काम सौंपा गया है. एक समझौते के तहत फरवरी में पैंगोंग झील क्षेत्र से भारत और चीन की सेनाओं द्वारा सैनिकों, टैंकों और अन्य साजो-सामान को पीछे हटाने के बाद सिंह का पूर्वी लद्दाख का यह पहला दौरा होगा. हॉट स्प्रिंग, गोगरा और देपसांग समेत टकराव वाले कई स्थानों से सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया अधर में लटकी हुई है क्योंकि चीन इन इलाकों से अपने सैनिकों को पीछे हटाने का इच्छुक नहीं है.
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