नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में मानहानि का मामला नहीं चलेगा। अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने इसकी अनुमति देने से इनकार कर दिया है। वेणुगोपाल ने कहा है कि वायनाड सांसद द्वारा दिया गया बयान शीर्ष अदालत के निचले अधिकार के लिए ‘बहुत अस्पष्ट’ थे।
दरअसल, वकील विनीत जिंदल ने वेणुगोपाल को हाल ही में कांग्रेस सांसद की एक टिप्पणी के लिए सुप्रीम कोर्ट में अदालती मामले की अवमानना के लिए सहमति देने के लिए लिखा था। बता दें किसी निजी व्यक्ति द्वारा दायर अवमानना मामले की सुनवाई करने से पहले ऐसी अनुमति की आवश्यकता होती है।
अटॉर्नी जनरल को लिखे पत्र में वकील जिंदल ने पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष के इंटरव्यू के हिस्से का जिक्र किया, जिस पर उनका दावा है कि राहुल ने अदालत की अवमानना की है। राहुल ने अपने बयान में कहा था, ‘इस देश में एक कानूनी प्रणाली है जहां किसी को अपनी राय व्यक्त करने की 100 प्रतिशत स्वतंत्रता थी।
साफ दिख रहा है कि भाजपा देश के इन सभी संस्थानों में अपने लोगों को शामिल कर रही है। यह बहुत स्पष्ट है। इस देश से वे संस्थागत ढांचे को छीन रहे हैं।’ राहुल ने अपने बयान में कहा था, ‘एक लोकतंत्र को एक न्यायपालिका की आवश्यकता होती है, जो स्वतंत्र हो, एक प्रेस जो स्वतंत्र हो, एक विधायिका जो अपने कामकाज में स्वतंत्र हो।’
जिंदल ने पत्र में कहा कि गांधी ने यह कहकर कि ‘केंद्र सरकार में सत्तारूढ़ पार्टी ने अपने लोगों को न्यायपालिका में शामिल कर लिया है’ यह हमारे देश की न्यायिक प्रणाली पर की गरिमा को कम कर रहा है। जिंदल ने लिखा था कि कांग्रेस नेता ने न्यायपालिका का अपमान किया है और इन टिप्पणियों के साथ उसकी गरिमा को कम किया है। हालांकि जिंदल के पत्र पर शीर्ष सरकारी वकील वेणुगोपाल ने यह कहते हुए असहमति जताई कि गांधी ने न्यायपालिका पर ‘सामान्य’ बयान दिया था और विशेष रूप से सर्वोच्च न्यायालय या न्यायाधीशों का संदर्भ नहीं दिया गया था।
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