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    मानहानि मामले ने बदला राहुल का सियासी भविष्य? जानिए कैसी है इस केस से जुडें अहम किरदारों की प्रोफाइल

  • March 26, 2023

    नई दिल्ली(New Delhi)। गुजरात की सूरत कोर्ट (Surat Court of Gujarat) के फैसले के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी के राजनीतिक भविष्य पर बड़ा संकट आ गया है. कोर्ट ने चार साल पुराने मानहानि के मामले (defamation cases) में राहुल को दोषी पाया और दो साल जेल की सजा सुनाई है. बाद में लोकसभा सचिवालय (Lok Sabha Secretariat) ने राहुल की संसद सदस्यता को रद्द कर दिया.

    बता दें कि राहुल ने मोदी सरनेम (Modi surname) को लेकर कथित विवादित टिप्पणी की थी. पूरे प्रकरण को गौर से देखें तो इसमें चार किरदार प्रमुख तौर पर नजर आते हैं. पहले- खुद राहुल गांधी हैं, जिन्होंने ये टिप्पणी की. उसके बाद इस टिप्पणी पर केस दर्ज कराने वाले शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी, तीसरे- सूरत की सेशन कोर्ट के जज सीजेएम हरीश हंसमुख भाई वर्मा और चौथे किरदार- राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के वकील किरीट पानवाला.


    राहुल गांधी: सजा और सांसदी जाने से विशेष तौर पर सुर्खियों में…
    इस पूरे प्रकरण में राहुल गांधी सबसे मुख्य किरदार हैं. 19 जून 1970 को जन्मे राहुल गांधी के साथ यह हमेशा जुड़ा रहा है कि वो देश की सबसे प्रतिष्ठित सियासी फैमिली से ताल्लुक रखते हैं. इसके अलावा देश के सबसे पुराने राजनीतिक दल से जुड़ाव उन्हें विरासत में मिला है. 2003 तक उनके राजनीति (Politics) में प्रवेश करने की स्थिति साफ नहीं थी, लेकिन मार्च 2004 में उन्होंने चुनाव लड़ने के साथ राजनीति में प्रवेश की घोषणा की. इसके साथ ही उनकी राजनीतिक पारी अमेठी (यूपी) से शुरू हुई जो कांग्रेस का गढ़ मानी जाती रही है. साथ ही सोनिया गांधी और इससे पहले संजय गांधी (चाचा) का भी राजनीति में पदार्पण इसी इलाके से हुआ था. इसके बाद राहुल गांधी की राजनीतिक पारी बयानों, उनकी आलोचानओं, विरोध का संगम रही है. साल 2013 में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस (press conference) में उनके द्वारा अध्यादेश फाड़े जाने का मामला बहुत तूल पकड़ा था, जिसे वर्तमान के हालिया प्रकरण में फिर से याद किया जा रहा है. राहुल गांधी का पूरा राजनीतिक करियर (political career) कुछ इस तरह रहा है…

    राजनीति में प्रवेश, मार्च 2004: पहला लोकसभा चुनाव अमेठी से लड़े और 1 लाख से ज्यादा मतों के अंतर से जीत दर्ज की.

    2004-2006: इस दौरान उन्हें गृह मामलों पर स्थायी समिति का सदस्य नियुक्त किया गया.

    2007-2009: मानव संसाधन विकास पर स्थायी समिति के सदस्य बने. यूपी विधानसभा चुनाव 2007 के लिए कांग्रेस प्रचार अभियान की कमान संभाली. हालांकि, ये प्रयोग असफल रहा. कांग्रेस ने सिर्फ 22 सीटें जीतीं.

    2009: अमेठी से फिर 15वीं लोकसभा के लिए चुने गए. 370,000 से ज्यादा मतों से जीत दर्ज की. 2009 में कांग्रेस ने 21 लोकसभा सीटें जीतीं और क्रेडिट राहुल के पास गया. उन्हें 31 अगस्त 2009 को मानव संसाधन विकास पर स्थायी समिति के सदस्य नियुक्त किया गया.

    2013: राहुल को जनवरी 2013 में कांग्रेस पार्टी के उपाध्यक्ष पद पर पदोन्नत किया गया.

    2014: राहुल को 16 वीं लोकसभा में फिर से चुना गया. विदेशी मामलों और स्थायी सलाहकार समिति के सदस्य, वित्त और कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के स्थायी समिति के सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया.

    2017: राहुल गांधी को कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया.

    2019: अमेठी में चुनाव हार गए. हालांकि, केरल के वायनाड से जीतकर संसद पहुंचे. कांग्रेस के खराब प्रदर्शन की जिम्मेदारी ली और अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया. इसके बाद से लगातार राहुल किसी ना किसी मामले में फंसते दिख रहे हैं.

    पैनी न्यायिक समझ के लिए जाने जाते हैं सीजेएम हरीश हंसमुख भाई वर्मा
    राहुल गांधी को मोदी सरनेम मामले में सूरत सेशन कोर्ट ने दोषी माना. इस मामले की सुनवाई सीजेएम हरीश हंसमुख भाई वर्मा ने की. वे सूरत की जिला और सत्र न्यायालय में चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट के तौर पर तैनात हैं. जस्टिस वर्मा को उनकी पैनी न्यायिक समझ और कड़क मिजाज के लिए जाना जाता है. वह 43 साल के हैं और न्यायिक सेवा का उन्हें दस साल से अधिक का अनुभव है. उनके लिए कहा जाता है कि वो सिर्फ कानून की सुनते हैं और किसी की नहीं. गुजरात हाईकोर्ट के आदेश पर ही सीजेएम हरीश हंसमुख भाई वर्मा ने प्राथमिकता के आधार पर राहुल गांधी के मामले की सुनवाई कर निर्णय सुनाया.

    न्याय को लेकर हैं संवेदनशील
    जस्टिस वर्मा वडोदरा के रहने वाले हैं. उन्होंने कानून की पढ़ाई महाराजा सयाजी राव विश्वविद्यालय से पूरी की.एलएलबी करने के बाद ही न्यायिक सेवा की परीक्षा उत्तीर्ण कर 2008 में न्यायिक अधिकारी के रूप में चुन गए थे. न्याय को लेकर अति संवेदनशील सीजेएम वर्मा ने कई बार पीड़ित पक्ष को वकील की गैर हाजिरी में भी सीधे सुना है. वो गरीब फरियादियों को जिला लीगल एड सेल के लिए गाइड भी करते हैं.

    सबसे अहम किरदार हैं पूर्णेश मोदी
    राहुल गांधी मामले में सबसे अहम किरदार हैं पूर्णेश मोदी. सूरत के अदजान इलाके में रहने वाले पूर्णेश गुजरात की 13वीं विधानसभा (2013-17) के उपचुनाव में जीत कर सदन में पहुंचे थे. यहां साल 2013 में तब विधायक रहे किशोर भाई निधन हो गया था. इसके बाद जब उपचुनाव हुए तो बीजेपी ने पूर्णेश मोदी को चुनावी मैदान में उतारा और उन्होंने जीत दर्ज की थी.

    2017 में भी लहराया जीत का परचम
    जब साल 2017 के विधानसभा चुनाव हुए तो भी पूर्णेश मोदी ही बीजेपी के उम्मीदवार थे. उन्होंने चुनाव में फिर से जीत का परचम लहराया. इस विधानसभा चुनाव में पूर्णेश मोदी को 1,11,615 वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी इकबाल दाऊद पटेल को 33,733 वोट ही मिले थे. पूर्णेश मोदी ने सदन में गुजरात सरकार की स्वास्थ्य और परिवार कल्याण समिति के सदस्य के रूप में 12 अगस्त 2016 से 25 दिसंबर 2017 तक संसदीय सचिव की भूमिका का निर्वाहन किया था.

    भाजपा के सूरत अध्यक्ष रह चुके हैं
    इससे पहले वो सूरत नगर निगम के नगरसेवक रहे. साल 2000-05 में वो निगम के सदन में सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी के नेता थे. इसके अलावा वो 2009-12 और 2013-16 में सूरत नगर भाजपा के अध्यक्ष भी रह चुके हैं.

    किरीट पानवाला, जिन्होंने लड़ा राहुल का केस
    सूरत की कोर्ट में राहुल गांधी की तरफ से दिग्गज वकील किरीट पानवाला ने केस लड़ा है. पानवाला सूरत के बड़े और नामी क्रिमिनल लॉयर में से एक हैं. 16 मई 1953 को सूरत में जन्मे किरीट पानवाला ने 1973 में बीएससी की पढ़ाई करने के बाद से ही प्रैक्टिस शुरू की थी. 1976 में एलएलबी, 1978 में एलएलएम पूरा किया. सूरत की कोर्ट में वकालत करते हुए उन्हें 47 साल हो गए हैं. वकालत के अपने करियर में किरीट पानवाला करीब 1600 सेशंस ट्रायल चला चुके हैं. अपने कोर्ट रूम के अनुभव के आधार पर ‘असत्यो माहिती’ नाम से एक बुक भी लिखी है, साथ ही ‘स्टेच्यू’ के नाम से क्राइम स्टोरी आधारित एक नवलकथा भी लिख चुके हैं. उन्होंने ‘नर्मदा तारा वही जता पानी’ के नाम से एक गुजराती फिल्म भी बनाई है जो अलग-अलग 10 अवॉर्ड भी जीत चुकी है. कांग्रेस से जुड़े नेताओं के मामले हमेशा से ही कोर्ट में लड़ते रहे हैं.

    चार साल तक चले केस में कब-क्या हुआ…
    – 16 अप्रैल 2019 को पूर्णेश मोदी की तरफ से शिकायत की गई.
    – 24 जून 2021 राहुल गांधी व्यक्तिगत रूप से सूरत की कोर्ट में हाजिर हुए.
    – 7 मार्च 2022 को शिकायत कर्ता ने गुजरात हाई कोर्ट में ट्रायल पर स्टे लगाने की मांग की. HC ने रोक लगाई.
    – एक साल तक मामला शांत रहा.
    – 16 फरवरी 2023 को अचानक शिकायतकर्ता ने हाईकोर्ट से अपना स्टे वापस ले लिया.
    – हाई कोर्ट के आदेश पर सीजेएम कोर्ट में तेजी से सुनवाई पूरी की गई.
    – 17 मार्च को सुनवाई के बाद आदेश सुरक्षित रखा गया.

    – 23 मार्च को कोर्ट ने आदेश सुनाया और राहुल गांधी को दोषी पाते हुए दो साल की जेल की सजा सुनाई. निजी मुचलके पर तत्काल जमानत दी. हालांकि, कोर्ट ने राहुल को निजी मुचलके पर तत्काल जमानत दी और आगे अपील करने के लिए 30 दिन की मोहलत दी.

    जानिए किस मामले में राहुल को मिली सजा
    राहुल गांधी ने कर्नाटक के कोलार में 13 अप्रैल 2019 को चुनावी रैली में कहा था, ”नीरव मोदी, ललित मोदी, नरेंद्र मोदी का सरनेम कॉमन क्यों है? सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है?” राहुल के इस बयान को लेकर बीजेपी विधायक और पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने उनके खिलाफ धारा 499, 500 के तहत आपराधिक मानहानि का केस दर्ज कराया था. शिकायत में बीजेपी विधायक ने आरोप लगाया था कि राहुल ने 2019 में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए पूरे मोदी समुदाय को कथित रूप से यह कहकर बदनाम किया है. पूर्णेश मोदी ने राहुल के खिलाफ सूरत की कोर्ट में केस कर दिया. कोर्ट ने राहुल को मानहानि केस में दोषी पाया और दो साल जेल की सजा सुनाई. इसके साथ ही कोर्ट ने निजी मुचलके पर राहुल को जमानत देते हुए सजा को 30 दिन के लिए सस्पेंड कर दिया था.

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