दावा गलत… दीपावली पर फूटते बम-पटाखों के जलते बारूद के धुएं से डेंगू मच्छर मरेंगे
अब तक कुल 1082 डेंगू मरीज
इंदौर, प्रदीप मिश्रा।
स्वास्थ्य विभाग (Health Department) के डॉक्टरों (doctors) के अनुसार दीपावली पर फोड़े जाने वाले बम-पटाखों और जलते अनार व फुलझडिय़ों की तीखी बारूदी गंध व ज्वलनशील धुएं के अलावा मौसम में ठंडक बढ़ते ही डेंगू बुखार ( dengue fever) का वायरस फैलाने वाले मच्छर दम तोडऩा शुरू कर देते हैं, जिसके कारण हर साल अक्टूबर माह के अंत तक डेंगू का इस तरह सफाया हो जाता है । मगर इस बार दीपावली का त्योहार बीत जाने और ठंडा मौसम शुरू होने के बाद भी अकेले नवम्बर माह में ढाई सौ से ज्यादा डेंगू पीडि़त मिलने से डॉक्टरों (doctors) की दीपावली (Deepawali) के पटाखे और ठंड से मच्छरों के मरने वाली थ्योरी पूरी तरह से फेल हो चुकी है। इस वजह से जिला अस्पताल के स्वास्थ्य विभाग (Health Department) के अधिकारी और डॉक्टर सहित सारा अमला हैरान है। कल 16 नए मरीज मिलने से डेंगू पीडि़तों का आंकड़ा 1100 से सिर्फ अब 18 मरीज कम है। पांच साल में डेंगू पीडि़तों (dengue victims) का यह सबसे बड़ा आंकड़ा है। 31 अक्टूबर तक डेंगू पीडि़तों (dengue victims) की संख्या 804 थी। 4 नवम्बर से 23 नवम्बर तक, यानी दीपावली पर्व के बाद डेंगू के 263 नए मरीज सामने आ चुके हैं। इस वजह से शहर औऱ इंदौर जिले वालों को अब स्वास्थ्य विभाग की दीपावली (Deepawali) निकल जाने और ठंड बढऩे से डेंगू के खात्मे की थ्योरी पूरी तरह काल्पनिक लगने लगी है। इसके अलावा अधिकांश शहरवासियों व निजी अस्पताल संचालकों के अनुसार डेंगू पीडि़तों की वास्तविक संख्या सरकारी आंकड़ों से 50 गुना ज्यादा है।
सच बोला तो ताले लग जाएंगे अस्पतालों में
1 नवम्बर 2021 से आज तक 278 डेंगू मरीज (dengue patients) मिलने के बाद भरोसा दीपावली(Deepawali) के पटाखे और ठंड वाली थ्योरी से उठ चुका है। उसी तरह शहरवासी व निजी अस्पताल (hospital) के संचालकों का स्वास्थ्य विभाग (Health Department) के 1082 डेंगू पीडि़तों के सरकारी आंकड़ों पर कतई विश्वास नहीं है। निजी अस्पताल संचालकों का कहना है यदि हम सच बोल दें तो हमारे अस्पतालों पर ताले जड़े मिलेंगे। स्वास्थ्य विभाग के लिए सरकारी नियम ढाल का काम कर रहा है। इस नियम के अंतर्गत शासन निजी अस्पताल या निजी लैब की रैपिड टेस्ट की जांच रिपोर्ट को मान्यता नहीं देता, सिर्फ सरकारी माइक्रो बॉयोलॉजी की मैकेलाइज जांच रिपोर्ट को ही मानता है।
डेंगू पर प्रहार अभियान पूरी तरह फेल
सरकार, और प्रशासन ने बड़े जोश के साथ डेंगू (Dengue) पर प्रहार अभियान शुरू किया था। तब शहरवासियों को लगा था कि प्रशासन ने जिस तरह कोरोना की दूसरी लहर को कंट्रोल किया उसी तरह डेंगू पर प्रहार करने में नहीं चूकेगा, मगर जिस तरह हर दिन, हर हफ्ते, हर महीने डेंगू पीडि़तों के नए आंकड़े आ रहे हैं उसने साबित कर दिया है कि डेंगू की रोकथाम के मामले सारे जतन, सारे दावे और सारे आदेश-निर्देश हवाहवाई साबित हुए हैं, क्योंकि शहर में पिछले तीन महीनों से डेंगू के जो हालात बने हुए हैं उसके लिए स्वास्थ्य विभाग के अलावा नगर निगम भी जिम्मेदार है।
डेंगू मरीजों की संख्या 50 हजार के पार
स्वास्थ्य विभाग (Health Department) जितने आंकड़े बता रहा है उतने डेंगू मरीजों (dengue patients) का इलाज तो शहर के 1 या 2 निजी अस्पताल वाले ही कर चुके हैं । सच तो यह है कि अभी तक डेंगू मरीजों की संख्या 50 हजार के पार जा चुकी है। यह कोई काल्पनिक या मनगढ़ंत आंकड़ा नहीं है। यदि जिला प्रशासन वाकई हकीकत जानना चाहता है तो जुलाई माह से लेकर नवम्बर माह तक निजी अस्पतालों में भर्ती रह चुके मरीजों का ट्रीटमेंट डाटा, यानी उनकी मेडिकल फाइल और इलाज में उपयोग की गई दवाइयों सहित मरीजों के डिस्चार्ज होने के बाद उनके बिलों की जांच-पड़ताल करवा ले, सब सच बाहर आ जाएगा।
स्वास्थ्य और सेहत में भी नम्बर वन बने इंदौर
यदि नगर निगम (Municipal Corporation) प्रशासन डेंगू पर प्रहार अभियान के दौरान शहरहित में अपने स्वास्थ्य विभाग (Health Department) के जरिए शहर के हर वार्ड में फॉगिंग मशीन से मच्छरनाशक धुआं छोडऩे की जिम्मेदारी ईमानदारी से निभाता तो शहर को कचरामुक्त, आवारा ढोरमुक्त की तरह मच्छरमुक्त, डेंगूमुक्त भी बना सकता था। निगम सिर्फ अधिकारियों के बंगले के अलावा रेसीडेंसी इलाके में फॉगिंग मशीनों का इस्तेमाल करके जिला प्रशासन के अधिकारियों को खुश करने में ही जुटा रहता है। स्वच्छता में 5 बार अवॉर्ड जीतने वाला नगर निगम प्रशासन मच्छरों से लगातार हारता नजर आ रहा है। निगम का अमला कचरा टैक्स वसूली के लिए व्यापारिक प्रतिष्ठानों, दुकानों को सील करने के मामले में सख्ती दिखा रहा है। इसकी आधी मुस्तैदी मच्छरों के खिलाफ दिखाता तो यह शहर स्वास्थ्य व सेहतमंद शहरवासियों के मामले में भी नम्बर वन बन सकता।
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