वाशिंगटन। मंगल ग्रह पर वैज्ञानिकों द्वारा जीवन तलाशने की कोशिश जारी है। मंगल ग्रह पर हालात अभी पृथ्वी की तरह जीवन की अनुकूलता नहीं हैं, लेकिन ऐसा बिलकुल नहीं है कि यहां जीवन किसी भी रूप में हो ही नहीं सकता है या नहीं ही रहा होगा वास्तव में वैज्ञानिक जितनी भी ज्यादा गहराई से पड़ताल कर रहे हैं। मामला उतना ही जटिल भी होता जा रहा है। नए अध्ययन ने इसी जटिलता को गहरा करने का काम किया है।
आपको बता दें कि NASA की नई शोध बताती है कि मंगल ग्रह पर जीवन खोजने के लिए रोवर्स को बहुत गहराई तक खुदाई करनी पड़ सकती हैमंगल ग्रह पर जीवन की तलाश के लिए खोदने पड़ेंगे 2 मीटर गहरे गड्ढे। मंगल ग्रह पर पिछले कई दशकों से जीवन ढूंढ़ने की कोशिश की जा रही है। इस लक्ष्य के पीछे दुनिया भर की सरकारी और निजी स्पेस एंजेसी व संगठन भाग रहे हैं। लेकिन, ऐसा प्रतीत होता है कि इंसान लाल ग्रह पर जीवन की खोज के जितना करीब आने की कोशिश करते हैं, उतना ही दूर चले जाते हैं। जबकि Curiosity और Perseverance जैसे रोवर ग्रह पर प्राचीन जीवन के निशान की तलाश में सतह को खंगाल रहे हैं, नए सबूत बताते हैं कि इन जीवन खोजने के लिए इन रोवर्स को बहुत गहराई तक खुदाई करनी पड़ सकती है।
ताजे शोध कहता है कि मंगल ग्रह पर बचे हुए अमीनो एसिड के सबूत, जब मंगल ग्रह रहने योग्य हो सकता था, के जमीन के कम से कम 2 मीटर (6.6 फीट) नीचे दबे होने की संभावना है। ऐसा इसलिए है क्योंकि मंगल ग्रह में चुंबकीय क्षेत्र की कमी और कमजोर वातावरण के कारण पृथ्वी की तुलना में इसकी सतह पर कॉस्मिक रेडिएशन की एक बहुत अधिक मात्रा है और यदि आपकी विज्ञान में रुचि है, तो आपको बता दें कि कॉस्मिक रेडिएशन अमीनो एसिड को नष्ट कर देता है।
Science Alert के अनुसार, मंगल ग्रह की खोज के लिए कॉस्मिक रेडिएशन वास्तव में एक बड़ी चिंता है। पृथ्वी पर एक औसत मानव प्रति वर्ष लगभग 0.33 मिलीसीवर्ट कॉस्मिक रेडिएशन के संपर्क में आता है। मंगल ग्रह पर, वह वार्षिक एक्सपोजर 250 मिलीसेवर्ट से अधिक हो सकता है। सोलर फ्लेयर्स और सुपरनोवा जैसी ऊर्जावान घटनाओं से आया यह हाई-एनर्जी रेडिएशन चट्टान में प्रवेश कर सकता है, और किसी भी कार्बनिक अणुओं को आयनित कर सकता है और नष्ट कर सकता है।
मंगल ग्रह पर Curiosity और Perseverance रोवर्स को कार्बनिक पदार्थ मिल चुके हैं। इसके अलावा कई ऐसे भी सबूत भी मिले हैं, जो करोड़ों या अरबों वर्ष पहले इस ग्रह पर जीवन की ओर इशारा करते हैं। हालांकि, इन सबूतों से कोई स्पष्ट नितजे निकलकर नहीं आते हैं।
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