भोपाल। राज्य सरकार दूरदराज के ग्रामों में गुणवत्ता पूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने के लिए दीनदयाल चलित अस्पताल पर लाखों रुपए खर्च कर रही है। वहीं, एम्बुलेंस में संचालित चलित अस्पताल की मैदानी हकीकत यह है कि उसमें ना तो डॉक्टर मिल रहे थे और न ही दवाएं। यही नहीं, मरीज नहीं आए, तो फर्जी तरीके से डेटा फीड कर लिया गया। इसकी जांच की गई, तो लापरवाही सामने आई। सरकार द्वारा दीनदयाल चलित अस्पतालों के संचालन पर रोक लगा दी गई है। हालांकि अन्य सेवाएं बरकरार रहेंगी। सोमवार देर शाम इस संबंध में एनएचएम की एमडी छवि भारद्वाज ने आदेश जारी कर दिया। संचालन बंद करने की सबसे बड़ी वजह चलित अस्पताल में आने वाले मरीजों का फर्जी डाटा फीड करना पाया गया। पिछले दिनों एनएचएम के अफसरों द्वारा धार जिले में की गई जांच में चलित अस्पताल में कई तरह की खामी मिली थीं। जांच रिपोर्ट एनएचएम भोपाल को भेजी गई थी। दीनदयाल चलित अस्पताल चलाने की जिम्मेदारी सरकार द्वारा जिगित्जा हेल्थ केयर कंपनी को दी गई थी।
कई जिलों में गड़बडिय़ां सामने आईं
कई जिलों में ये बात भी सामने आई थी कि जिन मरीजों का डाटा डॉक्टर्स द्वारा फीड किया गया, वो कभी इलाज कराने पहुंचे ही नहीं। इस तरह की गड़बड़ी पकड़ में आने के बाद ये कार्रवाई की गई है। प्रदेशभर में 150 चलित अस्पताल संचालित हो रहे थे। एक अस्पताल में करीब 1500 से ज्यादा मरीज इलाज के लिए पहुंचते थे।
नहीं मिलती सुविधाएं
शासन के नियमानुसार, एक अस्पताल में उपलब्ध सुविधाओं की तरह पूरी व्यवस्थाओं से लैस एंबुलेंस वाहन में दीनदयाल चलित अस्पताल संचालित किया जाता है। वहीं, चलित अस्पताल के नाम पर ग्रामीण अंचलों में बिना सुविधा दिए सरकार से राशि वसूल रहे हैं। वहीं, लंबे समय से चल रहे दीनदयाल चलित अस्पताल में जीवन रक्षक प्रणाली के लिए अति आवश्यक ऑक्सीजन सिलेंडर के साथ-साथ अन्य जांचों व उपचार के लिए आवश्यक उपकरण माइक्रोस्कोप, गांव में संदेश देने के लिए साउंड सिस्टम स्पीकर सहित अन्य सुविधाएं दी जाती हैं। एंबुलेंस में बने अस्पताल में एक चिकित्सक (एमबीबीएस) के अलावा लैब टेक्नीशियन, एक नर्स, ड्राइवर की व्यवस्था होना अनिवार्य है, लेकिन इनके अनुपस्थित होने की शिकायतें मिल रही थीं।
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