नई दिल्ली । वाहन उद्योग संगठन सियाम (Automotive Industry Association Siam) ने शुक्रवार को कहा कि सेमीकंडक्टर (चिप) (semiconductor) की कमी के चलते देश में यात्री वाहनों (passenger vehicles) की थोक बिक्री में नवंबर में 19 प्रतिशत की गिरावट आई है. सियाम ने बताया कि सेमीकंडक्टर की शॉर्टेज की वजह से गाड़ियों की मैन्यूफैक्चरिंग और सप्लाई पर बुरा असर पड़ रहा है. चिप की कमी के कारण ही पिछले महीने यात्री वाहनों (पीवी) की थोक बिक्री 2,15,626 इकाई रही, जो नवंबर 2020 की 2,64,898 इकाई से 19 प्रतिशत कम है.
गाड़ियों में इस्तेमाल होने वाला सेमीकंडक्टर क्या है
मौजूदा समय में बन रही लगभग सभी गाड़ियां चिप या सेमीकंडक्टर की मदद से ही सड़कों पर चल रही हैं. एक गाड़ी में आपको जितने फंक्शन मिलते हैं या उसके जिनते पार्ट्स हैं, वे सभी इन चिप की बदौलत की कंट्रोल किए जाते हैं. सेमीकंडक्टर की अहमियत को इस बात से भी समझा जा सकता है कि अगर आपकी गाड़ी में ये न हो तो आपको किसी भी तरह के आधुनिक फीचर्स नहीं मिल पाएंगे. पहले की गाड़ियों में चिप का इस्तेमाल लगभग न के बराबर होता था, जिसकी वजह से ही पहले की गाड़ियों में कोई खास फीचर्स या फंक्शन नहीं हुआ करते थे.
आज के जमाने में शायद ही कोई इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस होगा, जिसमें सेमीकंडक्टर का इस्तेमाल न होता हो. इस लिहाज से सेमीकंडक्टर रोजमर्रा की जिंदगी का अहम हिस्सा बन गया है. इसकी अहमियत जाननी हो तो सोच कर देखें कि दुनिया में इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस न हों तो क्या होगा. ये चिप ही है, जिसने न सिर्फ आज के इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को बदलकर रख दिया बल्कि हमारे जीवन को भी काफी आसान बना दिया. यही वजह है कि इसी चिप की शॉर्टेज की वजह से गाड़ियों की मैन्यूफैक्चरिंग नहीं हो पा रही है, जिससे ऑटोमोबाइल सेक्टर भारी समस्याओं का सामना कर रहा है.
चिप संकट के समाधान के लिए क्या कर रही है सरकार
भारत के आर्थिक विकास में ऑटोमोबाइल सेक्टर की बहुत बड़ी हिस्सेदारी है. देश की जीडीपी में ऑटोमोबाइल सेक्टर की हिस्सेदारी 7 फीसदी से भी ज्यादा है. सेमीकंडक्टर की किल्लत सिर्फ ऑटोमोबाइल सेक्टर के लिए ही नहीं बल्कि सरकार के लिए भी बड़ा सिरदर्द बनी हुई है. यही वजह है कि चिप बनाने वाली कंपनियों को प्रोत्साहित करने के लिए भारत सरकार ने 76 हजार करोड़ रुपये की इंसेंटिव योजना तैयार की है. इस योजना को कैबिनेट की मंजूरी मिलना बाकी है. उम्मीद की जा रही है कि इस महीने के अंत तक इस योजना को कैबिनेट की मंजूरी मिल जाएगी.
सरकार ने अनुमान लगाया है कि चिप मैन्यूफैक्चरिंग प्रोत्साहन कार्यक्रम 1.7 लाख करोड़ रुपये के निवेश को आमंत्रित करेगा. उम्मीद की जा रही है कि सरकार की इस योजना से इंटेल, मीडियाटेक, क्वालकॉम जैसी प्रमुख चिंप निर्माता कंपनियां भी आकर्षित होंगी.
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