भोपाल। कोरोना की वजह से अभी प्रदेश में स्कूलों के शैक्षणिक कार्य बंद हैं। कोरोना काल में स्कूल पूरी तरह से बंद रहे। इसके बावजदू भी निजी स्कूलों ने मनमानी फीस वसूली। यह मामला सरकार तक भी पूछा। सरकार ने सिर्फ ट्यूशन फीस वसूलने को कहा, लेकिन स्कूलों ने ट्यूशन फीस के नाम पर पूरी फीस वसूल ली। यह मामला हाईकोर्ट में है। कोर्ट ने पालक एवं स्कूल प्रबंधन को आपस में चर्चा कर समाधान निकालने का सुझाव दिया था। जिस पर दोनों पक्षों को कल तक कोर्ट में पक्ष रखना है। दोनों की तरफ से अगर कोई सुझाव नहीं दिया जाता है, तो कल ही इस मामले में निर्णय आ सकता है। अभी एक सितंबर को जारी अंतरिम आदेश को अगली सुनवाई तक के लिए जारी रखा गया है। कोर्ट ने इस मामले में सभी पक्षों को बीच का रास्ता निकालने को कहा गया था। स्कूल फीस मामले में उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति संजय यादव एवं न्यायमूर्ति बीके श्रीवास्तव की युगल पीठ के सामने 24 सितंबर को सुनवाई हुई थी। न्यायालय द्वारा सभी पक्षकारों को एक ऐसा प्रस्ताव रखने को कहा था, जिसमें स्कूल शिक्षा के जुड़े सभी हितग्राहियों जैसे पालक, विद्यार्थी, शिक्षक/अन्य गैर शैक्षणिक स्टाफ तथा स्कूल प्रबंधन सभी का हित सुरक्षित रहे।
पहले सत्र से ज्यादा फीस नहीं वसूलेंगे
मार्च तक कई स्कूलों ने सत्र 2020-21 की फीस को लेकर घोषणा कर दी गई थी। इसकी जानकारी भी जिला शिक्षा अधिकारी को दे दी थी। इसके अनुसार सिर्फ ट्यूशन फीस ही स्कूलों को लेना होगी। जिन स्कूलों ने फीस की घोषणा नहीं की, वह स्कूल पिछले साल के आधार पर घोषित ट्यूशन फीस लेंगे। इसके अतिरिक्त कोई भी चार्ज या अन्य तरह के शुल्क नहीं लिए जा सकते हैं।
संचालकों ने मुख्यमंत्री की बात भी नहीं मानी
फीस को लेकर सबसे पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने निजी स्कूलों को लॉकडाउन की अवधि में सिर्फ ट्यूशन फीस लेने के आदेश जारी किए थे। बावजूद इसके कई स्कूल पूरी फीस वसूलने पर अड़े थे। इसको लेकर कुछ स्कूलों ने हाईकोर्ट बेंच इंदौर में याचिका लगाई थी। जिस पर कोर्ट ने सरकार के आदेश पर स्थगन दिया था।
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