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    government के हस्तक्षेप के बाद fertilizer कीमत बढ़ाने का फैसला टला

  • April 10, 2021

    नई दिल्ली। उर्वरकों के कच्चे माल की कीमत (Fertilizer raw material price) में अंतरराष्ट्रीय बाजार में आई तेजी (Boom in international market) ने घरेलू बाजार (Domestic market) में उर्वरकों की कीमत को पंख लगा दिए हैं। उर्वरकों की कीमत बढ़ाने के कुछ ही देर बाद सरकार के हस्तक्षेप पर कीमत में बढ़ोतरी के फैसले को अगले आदेश तक के लिए टाल दिया गया।

    सबसे पहले देश के सबसे बड़े उर्वरक विक्रेता इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर को-ऑपरेटिव (इफको) ने गैर यूरिया उर्वरकों की कीमतें 58 फीसदी तक बढ़ाने का ऐलान किया। इफको की ओर से कीमत में बढ़ोतरी का ऐलान होने के बाद आनन फानन में दूसरी अन्य कंपनियों ने भी उर्वरक की कीमतों में वृद्धि करने की घोषणा कर दी लेकिन किसानों के मुद्दे को लेकर पहले से ही परेशानियों का सामना कर रही केंद्र सरकार ने तत्काल इस मामले में हस्तक्षेप किया। केंद्रीय मंत्री सदानंद गौड़ा ने साफ किया है कि किसानों के हित में उर्वरकों की बढ़ी हुई कीमत को फिलहाल स्थगित रखने का फैसला लिया गया है।

    केंद्रीय मंत्री के ऐलान के बाद इफको के सीईओ ने भी अपने ट्विटर हैंडल पर एक पोस्ट डालकर उर्वरकों को पुराने भाव पर ही बेचे जाने की बात का ऐलान किया। कंपनी के सीईओ यूएस अवस्थी ने अपने ट्विटर हैंडल पर स्पष्ट किया कि इफको के स्टॉक में फिलहाल 11.26 लाख टन से ज्यादा उर्वरक है, जिसे पुराने भाव पर ही बेचा जाएगा। अवस्थी ने दावा किया है कि इफको के स्टॉक में मौजूदा सीजन के लिहाज पर्याप्त मात्रा में उर्वरक है, और इसे पुराने भाव पर ही बेचा जाना है। इस संबंध में इफको की मार्केटिंग टीम को निर्देश दे दिए गए हैं।

    यूएस अवस्थी ने ये भी स्पष्ट किया है कि इफको द्वारा घोषित की गई नई कीमतें अस्थाई हैं। उन्होंने कहा कि कच्चे माल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों को अभी उर्वरक कंपनियों द्वारा अंतिम रूप दिया जाना बाकी है। एक बार कच्चे माल की कीमत निर्धारित हो जाने के बाद ही उर्वरकों की नई कीमत के बारे में ठोस फैसला लिया जाएगा। अवस्थी के मुताबिक इफको लगातार इस बात की कोशिश कर रहा है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे माल की कीमत में आई तेजी का असर घरेलू बाजार में उर्वरकों की कीमत पर न पड़े। क्योंकि उर्वरक की कीमतों में बढ़ोतरी होने से किसानों की जेब पर प्रतिकूल असर पड़ने की आशंका है, जो फिलहाल पहले से ही डीजल की बढ़ी कीमतों के कारण परेशानियों का सामना कर रहे हैं।

    कृषि कानून के खिलाफ आंदोलन कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने भी उर्वरकों की कीमत में बढ़ोतरी का विरोध किया है। आंदोलन कर रहे किसान नेताओं का दावा है कि फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) उनकी उत्पादन लागत की तुलना में कम है। ऐसे में अगर उर्वरकों की कीमत बढ़ेगी तो किसानों की लागत और भी ज्यादा बढ़ जाएगी। इसलिए मौजूदा समय में उर्वरकों की कीमत में बढ़ोतरी करने के किसी भी प्रस्ताव से बचने की कोशिश की जानी चाहिए।  (एजेंसी, हि.स.)

     

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