नई दिल्ली (New Dehli) । जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir)के पुंछ में ड्यूटी के दौरान (during)जान गंवाने वाले अग्निवीर अमृतपाल को सेना की तरफ से गार्ड ऑफ ऑनर (guard of Honour)ना दिए जाने को लेकर सियासत (Politics)गर्म है। 11 अक्टूबर को पंजाब के रहने वाले अमृतपाल की ड्यूटी के दौरान मौत (Amritpal died while on duty)हो गई थी। हालांकि सेना का कहना है कि उनकी मौत किसी ऑपरेशन के दौरान नहीं बल्कि आत्महत्या है। सेना ने कहा है कि अमृतपाल ने राजौरी सेक्टर में संतरी की ड्यूटी के दौरान खुद को गोली मार ली थी। इसकी कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी भी चल रही है। जवान के पार्थिव शरीर को जूनियर कमीशन्ड अधिकारी और चार अन्य अग्निवीर इकाई के जवान किराए की एंबुलेंस में उनके गांव लेकर पहुंचे थे। बयान में कहा गया है कि सेना के जवान अंतिम संस्कार में शामिल हुए थे।
भगवंत मान ने जताई आपत्ति
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा है कि इस मामले को लेकर वह केंद्र सरकार के सामने अपना पक्ष रखेंगे। उन्होंने एक्स पर पोस्ट करके कहा कि पंजाब सरकार की नीति के मुताबिक शहीद के परिवार को 1 करोड़ रुपये की मदद दी जाएगी। उन्होंने कहा कि अमृतपाल इस देश के लिए एक शहीद है।
शिरोमणि अकाली दल की नेता हरसिमरत कौर बादल ने भी कहा कि उन्हें यह जानकर हैरानी हुई कि आखिर अग्निवीर की अंत्येष्टि बिना सैनिक सम्मान के क्यों की गई। उन्होंने इस मामले में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह से दखल देने की मांग की है। बादल ने कहा कि शहीद के शव को भी एक किराए की एंबुलेंस में घर पहुंचाया गया। यह सब इसलिए किया गया क्योंकि अमृतपाल एक अग्निवीर था । उन्हें भी सैनिक सम्मान मिलने का अधिकार था।
सेना ने क्या कहा?
सेना की तरफ से शनिवार को सफाई दी गई और कहा गया कि एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना में अग्निवीर अमृतपाल सिंह ने राजौरी सेक्टर में संतरी की ड्यूटी के दौरान खुद को गोली मार ली थी। इस मामले में जांच की जा रही है। मौजूदा नियमों के मुताबिक यह मौत खुद से ही हुई थी इसलिए उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर या फिर सैनिक अंत्येष्टि नहीं दी गई। वहीं पजांब के कांग्रेस चेफी अमरिंदर सिंह राजा वारिंग ने कहा. यह देश के लिए बहुत ही दुख की बात है कि अग्निवीर स्कीम के तहत भर्ती होने वाले युवा को इस तरह से प्राइवेट एंबुलेंस में घर भेज दिया गया और उसे सैनिक सम्मान भी नहीं दिया गया। क्या अग्निवीर का मतलब यही है कि आपके जीवन के कोई मायने नहीं हैं।
वारिंग ने कहा कि पंजाब की पुलिस को अग्निवीर को गार्ड ऑफ ऑनर देनेा चाहिए था। क्या भाजपा की यही नीति है कि अग्निवीर के जवानों के साथ इस तरह का व्यवहार किया जाए? क्या केंद्र सरकार के पास इस तरह के व्यवहार के लिए कोई जवाब है? वहीं शिरोमणि अकाली दल के चीफ सुखबीर सिंह बादल ने भगवंत मान पर हमला करते हुए कहा कि उन्हें इस बात की हैरानी है कि राज्य स्तर पर भी अग्निवीर को सैनिक सम्मान देने से इनकार कर दिया गया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को केंद्र सरकार की नीति के पीछे नहीं छिपना चाहिए। कम से कम वह इस दुख के समय में शहीद के लिए कुछ कर सकते थे।
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