नई दिल्ली। देश में मध्यम और उच्च आय वर्ग (Middle and Upper Income group) से आने वाले लोगों पर कर्ज का बोझ बढ़ (Debt burden increases) रहा है। बीते तीन वर्षों में 5 से 15 और 15 लाख रुपये से अधिक की सालाना आय समूह में आने वाले लोगों की बकाया पर्सनल लोन (Outstanding Personal loan) की हिस्सेदारी बढ़ी है। भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) के आंकड़ों से पता चलता है कि इन दोनों वर्गों के लोगों पर बकाया पर्सनल लोन का हिस्सा करीब 11 फीसदी तक बढ़ गया है। इसका मतलब है कि लोन लेने वालों की संख्या बढ़ रही है और उसे समय पर चुका न पाने वालों की संख्या भी बढ़ रही है। उधर, असुरक्षित पर्सनल लोन के मामले में सबसे अधिक पांच लाख से कम की आय वाले लोगों का नाम आया है।
आरबीआई द्वारा जारी वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट, दिसंबर 2024 से पता चला है कि बीते तीन वर्षों में पांच से 15 लाख तक की आय वर्ग में आने वाले लोगों की व्यक्तिगत बकाया ऋण के रूप में हिस्सेदारी सितंबर 2024 तक 11 फीसदी बढ़ी है। जबकि, 15 लाख से अधिक की आय वालों की हिस्सेदारी नौ फीसदी बढ़ी है।
सबसे अधिक असुरक्षित पर्सनल लोन यहां फंसा
वहीं, पांच लाख तक के सालाना आय समूह में आने वाले लोगों की हिस्सेदारी महज एक फीसदी की रफ्तार से बढ़ी है। इसके पीछे एक कारण यह भी है कि बैंकों का सबसे ज्यादा असुरक्षित पर्सनल लोन इसी आय वर्ग के लोगों के पास फंसा हुआ है। इसी तरह से जिन लोगों की नियमित आय नहीं है, उनके बकाया ऋण में 20 फीसदी की कमी आई है।
बैंकों ने खासी सावधानी बरती
इसके पीछे मुख्य कारण बैंकों ने बीते तीन वर्षों के दौरान उन लोगों को लोन जारी करने में सावधानी बरती है, जिनकी कोई नियमित आय नहीं होती है। ऐसे लोगों को बैंकों की तरफ से अकसर छोटी अवधि के लिए कम धनराशि के लोन दिए जाते हैं। ऐसे लोन को लेकर आरबीआई ने बैंकों से सावधानी बरतने के लिए भी कहा था, जिसके बाद बैंकों ने छोटे ऋण की वसूली को बढ़ाया और नए ऋणों को जारी करने में खासी सावधानी बरती।
ऐसे बढ़ी बकाया पर्सनल लोन में हिस्सेदारी
– आय वर्ग सितंबर 2021 सितंबर 2024 हिस्सेदारी में अंतर
– पांच लाख से कम 17 18 01 फीसदी
– पांच से 15 लाख 26 37 11 फीसदी
– 15 लाख से अधिक 16 25 09 फीसदी
– आय उपलब्ध नहीं 40 20 -20 फीसदी
पांच लाख की आय वालों पर अधिक बकाया
पांच लाख से कम की आय वर्ग से आने वाले लोगों के पास असुरक्षित पर्सनल लोन सबसे ज्यादा है, जिसमें कोई कमी मार्च से सितंबर 2024 के बीच नहीं आई है। मार्च में भी करीब 42 प्रतिशत असुरक्षित ऋण इस आय वर्ग से जुड़े लोगों के पास था और सितंबर में भी उतना ही ऋण फंसा हुआ था। हालांकि यह ऋण मार्च 2023 में 52 फीसदी से अधिक था। यानी बीते करीब डेढ़ वर्ष में इसमें कमी देखने को मिली है।
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