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    मजाक बनी मौत, अस्पताल प्रशासन की लापरवाही से लोगों के संक्रमित होने का भी खतरा

  • May 13, 2021
    अशोक नगर ।  एक कोरोना संक्रमित (Corona infected) युवक की दुखद मौत  तमाशे में तब्दील हो गई। पहले तो अस्पताल से अंतिम संस्कार के लिए लाए गए युवक के जिंदा होने के भ्रम के चलते दोबारा अस्पताल ले जाया गया। चिता से उठाकर अस्पताल लाए गए युवक को दोबारा ऑक्सीजन (Oxygen again) लगाया गया। इसके कुछ देर बाद फिर मृत घोषित कर दिया गया। इससे भी बड़ी चूक यह कि मृतक का अंतिम संस्कार बिना कोरोना प्रोटोकाल (Funeral without corona protocol) के किया गया। इसके चलते जो अंतिम क्रिया में शामिल थे, उनके संक्रमित होने का भय बना हुआ है।
    अनिल जैन उर्फ रिंकू को कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद स्थानीय जिला अस्पताल में  भर्ती कराया गया था। अस्पताल प्रशासन ने गुरुवार की सुबह रिंकू को मृत घोषित कर दिया । इसके पश्चात उसके शव को सफेद प्लास्टिक के पैकेट में बंद कर अंतिम संस्कार के लिए मुक्तिधाम भेजा गया । मुक्तिधाम पर ही युवक के अंतिम संस्कार के लिए उसके परिजन भी पहुंचे थे। युवक को चिता पर लिटाए जाने की तैयारी चल ही रही थी कि लोगों को अचानक युवक के मुंह से हिचकी जैसी आवाज सुनाई दी। वहां खड़े लोगों को या तो भ्रम हुआ या वह सही था, पर इससे उस युवक के जिंदा होने का शोर मच गया। तत्काल अस्पताल को खबर भेजी गई और वहां से डॉ.मुनेश रघुवंशी  मुक्तिधाम पहुंच गए। वहां युवक का परीक्षण करने के बाद वे युवक की देह को वापस अस्पताल ले आए। अस्पताल लाकर कुछ देर के लिए दोबारा ऑक्सीजन लगाया गया। फिर डॉक्टरों ने युवक का पुन: परीक्षण कर उसे मृत घोषित किया।

    सवाल है कि युवक को पहली बार मृत घोषित करते समय क्या जिला अस्पताल के चिकित्सक और प्रशासन जल्दबाजी में थे? मुक्तिधाम गए डॉक्टर क्या उसके मृत होने की पुष्टि नहीं कर सकते थे? अगर वह म़त ही था तो अस्पताल लाकर दोबारा ऑक्सीजन क्यों लगाय गया? छत्तीसगढ़ में एक पखवाड़ा पहले ऐसा ही घटनाक्रम हुआ था जिसमें चिता पर लिटाते समय महिला के जीवित होने का संदेह हुआ और वह सच निकला था। हांलाकि दो दिन बाद उस महिला की मौत हो गई थी। कोरोना काल में शव बदल जाने की घटनाएं तो कई सारी हो चुकी हैं।  
    उक्त पूरे घटनाक्रम के बारे में सिविल सर्जन डॉ.जसराम त्रिवेदिया का कहना है कि युवक की मौत की पुष्टि पहले ही की जा चुकी थी, भ्रमवश उसे पुन: अस्पताल लाया गया था।  वहीं कोरोना संक्रमित मृतक युवक को बिना पीपीकिट पहने अंतिम संस्कार करने के सीएमएचओ डॉ.हिमांशु शर्मा का कहना है कि पहली बार मृतक का शव पैकेट में पैक होकर ही अंतिम संस्कार के लिए गया था और उसका संस्कार  कोरोना प्रोटोकाल के तहत ही होना चाहिए था। बाकी लोगों को शव से दूर रहना चाहिए और जो संस्कार करा रहे हैं उन्हें पीपीई किट पहनकर ही संस्कार कराना चाहिए था। पर अस्पताल से दोबारा ले जाते समय लोगों ने इस बात का ध्यान नहीं रखा।

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