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    हर माह घटती रहेंगी लाड़ली बहनाए, लोकसभा चुनाव पश्चात अपात्रों की भी छंटनी संभव

  • January 11, 2024

    कांग्रेस के आरोप पर अभी संख्या घटने पर भाजपा को देना पड़ी सफाई, मुख्यमंत्री ने खातों में हस्तांतरित करवाई किश्त

    इंदौर। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कल अपने कार्यकाल की पहली लाडली बहना योजना की किश्त खातों में डलवाई। दूसरी तरफ कांग्रेस ने इस बात पर हल्ला मचाया कि लगभग डेढ़ लाख लाडली बहनाएं घट गई। हालांकि बाद में भाजपा की ओर से सफाई दी गई कि 60 साल से अधिक उम्र की जो लाडली बहनाएं हो गईं उन्हें सूची से बाहर नियम के मुताबिक करना पड़ा। उनकी संख्या ही डेढ़ लाख से ज्यादा है। इसी तरह 154 की मृत्यु हो गई, तो 18 हजार से अधिक ने स्वेच्छा से योजना का परित्याग किया। वहीं 804 समग्र-आधार से लिंक नहीं पाई गई। इस तरह पौने 2 लाख हितग्राहियों की संख्या घटी है।


    पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान लाडली बहना योजना को ना सिर्फ घोषित कर गए, बल्कि हर महीने लगभग 1600 करोड़ रुपए की घंटी भी नई सरकार के गले में बांध गए। शासन का खजाना भी खाली है और लगातार कर्ज लेकर जुगाड़ करना पड़ रही है। अभी 1576.61 करोड़ की राशि भी लाडली बहना योजना के लिए बड़ी मुश्किल से अफसरों को करना पड़ी और अब फरवरी की राशि जुटाने में तो और भी दिक्कत आएगी। चूंकि सामने लोकसभा चुनाव है। इसलिए भाजपा इस योजना पर फिलहाल कुछ कर भी नहीं सकती और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को भी घोषणा करनी पड़ी कि हर माह की 10 तारीख को लाडली बहनाओं के खातों में राशि जमा होती रहेगी और कल उन्होंने अपने वादे के मुताबिक 1.29 करोड़ लाडली बहनाओं के खातों में यह राशि ट्रांसफर भी करवा दी। दूसरी तरफ कांग्रेस ेने इस बात को लेकर विरोधकिया कि लाडली बहनाओं की संख्या जो सितम्बर 2023 में 1 करोड़ 31 लाख 2182 थी, वह अब जनवरी में 1 करोड़ 29 लाख 26835 घटकर कैसे हो गई.$?$ कांग्रेस ने धीरे-धीरे इस योजना को बंद करने के आरोप भी लगाए, जिसके जवाब में भाजपा की ओर से बताया गया कि शासन की ओर से लाडली बहना की कोई संख्या नहीं घटाई गई है, बल्कि पिछले 5 महीनों में 154 लाडली बहनाओं की मौत हो गई, तो 18136 बहनाओं ने स्वेच्छा से इस योजना का परित्याग कर दिया, तो 804 की समग्र-आधार डी लिंक होने से और 1 लाख 56253 लाडली बहनाएं 60साल से अधिक उम्र की हो गई। चूंकि नियम में 60 साल तक की उम्र की महिलाओं को ही इसका लाभ मिलना है। लिहाजा अब इसी तरह अधिक उम्र होने, मृत्यु या स्वेच्छा से योजना छोडऩे वाली बहनों की संख्या हर माह घटती रहेगी। वर्तमान में 1 लाख 75 हजार 347 बहनाएं घट गई हैं। हालांकि सूत्रों के मुताबिक लोकसभा चुनाव बाद पात्र-अपात्र के आधार पर भी बहनों की संख्या घट सकती है।

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