इंदौर। शहर के निजी अस्पतालों में लूटपाट वैसे भी नई बात नहीं है और आए दिन पीडि़त परिवारों के साथ अधिक बिल का विवाद होता है। कोरोना में भी इस तरह की कई घटनाएं घटी, जिसके चलते इंदौ हॉस्पिटल पीडि़त परिवार संघ भी बनाया गया और अब सोशल मीडिया के जरिए जब भी इस तरह की कोई जानकारी मिलती है तो उससे जुड़े कार्यकर्ता पहुंच जाते हैं। कल भी राजश्री अपोलो में ऐसा ही एक मामला हुआ, जिसमें पीडि़त परिवार के पिता की मृत्यु के आठ घंटे बाद तक शव नहीं सौंपा गया, क्योंकि साढ़े 7 लाख रुपए से अधिक बिल की राशि बकाया थी।
भाजपा मंडल अध्यक्ष पिछड़ा मोर्चा के शैलेश धोलवे, ऋषि मिश्रा ने इंदौर हॉस्पिटल पीडि़त परिवार संघ के जीतू कुशवाह से इस मामले में मदद करने को कहा। लिहाजा जीतू कुशवाह, कमलसिंह जादोन सहित अन्य लोग राजश्री अपोलो हॉस्पिटल पहुंचे और वहां काउंटर पर काफी देर तक स्टाफ के साथ विवाद हुआ। दरअसल, पीडि़त परिवार का कहना था कि वह अपने पिताजी को इलाज के लिए यहां लाए और आईसीयू में उनका इलाज चलता रहा और फिर सुबह 6 बजे उनका निधन हो गया।
जब परिवार के लोगों ने हॉस्पिटल से शव सौंपने को कहा तो बताया गया कि बिल 16 लाख 70 हजार रुपए हो चुका है। मुख्यमंत्री सहायता के अलावा परिवार ने अपने खुद के पास से जमा पूंजी इकट्ठी कर 9 लाख रुपए से अधिक की राशि जमा भी कर दी थी, लेकिन शेष साढ़े 7 लाख रुपए जमा करने में पीडि़त और गरीब परिवार असक्षम था। 8 घंटे तक शव नहीं सौंपा गया और काफी विवाद की स्थिति भी निर्मित हुई। मौके पर पुलिस को खबर मिली तो वह भी पहुंची।
हॉस्पिटल पहुंचे नेताओं ने प्रबंधन से चर्चा की, तो पहले तो वह भी पूरे बिल की राशि जमा कराने की बात कहते रहे। जब उन्हें यह भी बताया कि हाईकोर्ट ने भी कुछ समय पूर्व यह आदेश दिए थे कि रुपयों के अभाव में किसी शव को सौंपने से मना नहीं किया जा सकता। काफी देर विवाद और कहासुनी के बाद हॉस्पिटल प्रबंधन बिल की राशि माफ करने को तैयार हुआ और फिर पीडि़त परिवार को शव सौंपा गया।
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