उज्जैन। शहर के एकमात्र स्वयं सेवी संस्था द्वारा चलाया जा रहा नशा मुक्ति केंद्र कोरोना के चलते पूरे 2 साल बंद पड़ा रहा, जो अभी 8 दिन पहले शुरू हो पाया है। यहां नशे की आदत वाले लोगों कको 21 दिन रख कर उनका इलाज कर नशे से मुक्ति दिलाई जाती है। मक्सी रोड स्थित झोन कार्यालय के पास नशा मुक्ति केंद्र है जिसे अखिल भारतीय सामाजिक स्वास्थ्य संघ नाम की स्वयंसेवी संस्था चलाती है। इस संस्था में 13 लोगों का स्टाफ है जो नशा करने वालों का इलाज और देखभाल करता है। यहां 15 बेड की व्यवस्था है जिसमें मरीजों को रखा जाता है और प्रतिदिन उनसे योग आदि कराए जाते हैं और उनके खानपान इलाज का ध्यान रखा जाता है लेकिन कोरोना के कारण यह सेंटर बंद पड़े थे और 2 साल से इनको अनुदान भी नहीं मिल पाया। इसके चलते यहां कार्यरत कर्मचारियों को वेतन भी नहीं मिला है।
शहर के कई इलाके नशेडिय़ों से भरे पड़े हैं और पिछले कई दिनों से इलाज नहीं मिलने के कारण इनकी संख्या बढ़ती जा रही है और नशे के लिए यह बड़ी से बड़ी वारदातें भी कर रहे हैं। नशा जिन इलाकों में बिकता है, उनमें नीलगंगा, तोपखाना, गुदरी, कहारवाड़ी, हीरा मिल की चाल, ईदगाह क्षेत्र, ढांचा भवन है। इनमें से कई क्षेत्रों में हर पांचवें घर में इसमें को ऐसे नशे लेने वाले लोग हैं। ज्यादातर यह नशा युवाओं और मजदूरों में फैलाए पहले भी यहां झिंझर पीने से 13 लोगों की मौत हो गई थी और बाद में यह मामला गहराया था। अब 2 साल से जब यह नशा मुक्ति केंद्र बंद पड़ा है तो ऐसे में शहर में नशेडिय़ों की संख्या बढ़ती जा रही है और उन पर कोई अंकुश नहीं है। अब सेंटर खोलने के बाद यहां के डॉक्टर और अन्य कर्मचारी दो दिन पहले एसपी से मिले और जो भी लोग शहर में नशा करते पुलिस पकड़े, उन्हें यहां पहुंचाने की बात कही। नशा मुक्ति केंद्र में नशा करने वालों को 21 दिन रखा जाता है और उनका समुचित इलाज कर नशे से मुक्ति दिलाई जाती है। हर साल इस स्वयंसेवी संस्था को 10 लाख रुपये के करीब भारत सरकार से अनुदान मिलता है जिसमें स्टाफ का खर्च और दवाइयां तथा सेंटर चलाने का काम चलता है।
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