इंदौर। देश के सबसे साफ-सुथरे शहर इंदौर (Indore) की सडक़ों (Road) पर जल्द ही बेटियां (महिला ड्राइवर्स) महिलाओं (female drivers) के लिए चलने वाली पिंक बसें (Pink Bus) चलाएंगी। इसके लिए पहली बार महिला ड्राइवर्स (Female Driver) को आई-बस चलाने की ट्रेनिंग (Training) भी दी जा रही है। शहर (City) में हलचल शुरू होने से पहले तडक़े 3 से 5 के बीच यह महिलाएं बीआरटीएस (BRTS) कॉरिडोर में ट्रेनिंग के दौरान आई-बस (IBUS) दौड़ा रही हैं। जल्द ही ट्रेनिंग पूरी होते ही पिंक बसों (Pink Bus) का स्टेयरिंग इनके हाथों में होगा।
शहर में महिलाओं को सुरक्षित और आरामदायक सफर देने के लिए फरवरी 2020 से दो पिंक बसों की शुरुआत की गई थी। योजना थी कि इन बसों में सिर्फ महिलाएं सफर करेंगी और इनका संचालन महिला बस ड्राइवर और कंडक्टर (conductor) ही करेंगी। लेकिन बसें शुरू करने के लिए महिला बस ड्राइवर्स (Driver) न मिल पाने के कारण पुरुष ड्राइवर्स (Male Driver) के साथ ही इन बसों का संचालन शुरू किया गया। प्रबंधन तब से ही महिला बस ड्राइवर्स की तलाश कर रहा था। इसके लिए विज्ञापन भी निकाला गया था। इसे देख दो महिला ड्राइवर्स अधिकारियों से मिलने पहुंचीं। दोनों का हुनर देखकर प्रबंधन ने उनकी ट्रेनिंग शुरू कर दी है।
देर रात ही पहुंच जाती हैं निरंजनपुर बस डिपो पर
दोनों महिला बस ड्राइवर्स को तडक़े 3 से 5 बजे के बीच बीआरटीएस कॉरिडोर पर ट्रेनिंग दी जा रही है। यह समय इसलिए चुना गया, क्योंकि सुबह 5 के बाद कॉरिडोर में साइकिलिस्ट साइकिल चलाने लगते हैं। इसके लिए ट्रेनर और महिला ड्राइवर्स देर रात ही निरंजनपुर स्थित बस डिपो पहुंच जाती हैं। यह ट्रेनिंग पिछले 20 दिनों से चल रही है। ट्रेनिंग में महिलाओं को बसों को कॉरिडोर पर चलाने के साथ ही खासतौर पर बस स्टॉप पर डोर के पास बसें लगाना सिखाया जा रहा है, क्योंकि ऐसा करने पर ही दरवाजा खुलता है।
महिलाओं को सुरक्षित सफर देना उद्देश्य
एआईसीटीएसएल (AICTSL) की प्रवक्ता माला ठाकुर बताती हैं कि पिंक बसों को चलाने का उद्देश्य ही महिलाओं को सुरक्षित सफर देना है, जिसमें महिलाओं द्वारा ही महिलाओं के लिए बसें चलाने की योजना थी। लंबे समय तक महिला बस ड्राइवर्स न मिलने के कारण पुरुष ड्राइवर्स इन बसों को चला रहे थे, लेकिन अब ट्रेनिंग के बाद ये महिलाएं ही महिलाओं के लिए चलने वाली विशेष बसें चलाएंगी। यह संभवत: प्रदेश की पहली महिला बस ड्राइवर्स होंगी। इनके साथ महिलाओं का सफर और भी सुरक्षित होगा।
घर की गाड़ी चलाने के लिए चलाएंगी गाड़ी
ट्रेनिंग ले रही महिला बस ड्राइवर रितु नरवाले ने बताया कि घर में माता-पिता और भाई-भाभी हैं। आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। पिता इलेक्ट्रीशियन हैं और मां निगम में सफाईकर्मी। घर चलाने में दिक्कत होने पर काम करने का सोचा और 2015 में एक एनजीओ के माध्यम से वाहन चलाने की ट्रेनिंग ली। एक साल बाद उन्होंने बड़े यात्री वाहनों का लाइसेंस लिया। इसके बाद सयाजी और मैरियट जैसी होटलों में मर्सिडीज जैसी लक्जरी कारें भी चलाईं। इस दौरान पिंक बसों के लिए महिला ड्राइवर्स की जरूरत का विज्ञापन देखकर संपर्क किया और मौका मिला।
पति का चलाया डीजल टैंकर तब आया कॉन्फिडेंस
ट्रेनिंग ले रही दूसरी महिला ड्राइवर अर्चना कटारे ने बताया कि घर में पति और दो बच्चे हैं। पति इंदौर से मुंबई के बीच डीजल-पेट्रोल के टैंकर चलाते हैं। घर खर्च में हाथ बंटाने के लिए पहले ब्यूटी पार्लर में काम करती थी। बाद में ड्राइविंग सीखने के बाद मैरियट और टीजीबी में कार चलाई। लॉकडाउन में नौकरी छूट गई तो पति के साथ कई बार टैंकर पर मुंबई गई। इस दौरान टैंकर चलाकर देखा तो बड़े वाहन चलाने का कॉन्फिडेंस आ गया। इस दौरान पिंक बस चलाने के लिए महिला ड्राइवर्स की जरूरत का विज्ञापन देखा और ट्रेनिंग शुरू हो गई।
सितंबर से बसें चलाएंगी महिला ड्राइवर्स
एआईसीटीएसएल द्वारा लंबे समय से महिला बस ड्राइवर्स की तलाश की जा रही थी, जो अब खत्म हुई है। महिलाओं को ट्रेनिंग दी जा रही है और दोनों ही महिलाएं बहुत ही कुशलता से बस चला रही हैं। ट्रेनिंग पूरी होने पर सितंबर से महिलाएं पिंक बसें चलाना शुरू करेंगी।
– संदीप सोनी, सीईओ, एआईसीटीएसएल
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