इंदौर। नगर निगम में जो हो जाए वो कम है। आए दिन नित नए घोटाले और गड़बडिय़ां सामने आती हैं। अभी 28 करोड़ रुपए का ड्रैनेज घोटाला उजागर हुआ है, जिसमें 5 फर्मों के खिलाफ कल निगम ने एमजी रोड थाने पर एफआईआर भी दर्ज करवाई। निगमायुक्त शिवम वर्मा का कहना है कि जांच के बाद इन फर्मों को ब्लैक लिस्टेड भी किया जाएगा। बिना काम किए ही भुगतान के लिए इन फर्मों ने पुराने टेंडरों और मंजूर फाइल नम्बरों का इस्तेमाल किया और मजे की बात यह है कि ऑडिट विभाग ने भी 20 से अधिक इन फर्जी बिलों को मंजूरी दे डाली। ऐन वक्त पर भुगतान से पहले लेखा शाखा को जब संदेह हुआ तो उसने जांच की।
निगम के कार्यपालन यंत्री सुनील गुप्ता का कहना है कि लगभग 20 बिलों को इन फर्मों ने तैयार किया, जिसमें पुराने टेंडरों और उनके नम्बरों का इस्तेमाल किया गया। जब इन बिलों की जांच की गई और उनकी तारीख और नम्बर देखे तो यह गड़बड़ी सामने आई। इसमें लिप्त किंग कंस्ट्रक्शन, ग्रीन कंस्ट्रक्शन, न्यू कंस्ट्रक्शन के अलावा जान्हवी इंटरप्राइजेस और सीपी इंटरप्राइजेस जैसी फर्में शामिल हैं। इनके कर्ताधर्ताओं मो. सिद्दीकी, जाकीर, मो. सागीद, राहुल वडेरा, रेणु वडेरा के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज कराई गई है और थाना एमजी रोड द्वारा इस मामले की जांच की जा रही है।
वहीं निगमायुक्त शिवम वर्मा से जब अग्रिबाण ने इस फर्जीवाड़े के संबंध में जानकारी ली तो उन्होंने बताया कि यह मामला वाकई गंभीर है और भुगतान के लिए 28 करोड़ रुपए के बिल प्रस्तुत कर दिए गए, जिसकी जांच अब पुलिस को सौंपी गई है। इन फर्मों को किए गए भुगतान की जानकारी भी निकलवाई जा रही है। वहीं इन फर्मों को ब्लैक लिस्टेड यानी काली सूची में भी डाला जाएगा। इस मामले में निगम के किसी अधिकारी या कर्मचारी की जो मिलीभगत रही होगी उसकी भी जांच कर उचित कार्रवाई की जाएगी। दूसरी तरफ निगम सूत्रों का कहना है कि वर्ष 18-19 में ये काम कागजों पर करना बताए और बोगस फाइलें तैयार की गई, जिसमें निगम के ही लोगों के साथ ऑडिट विभाग की मिलीभगत रही है।
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