नई दिल्ली (New Delhi)। दुनिया के सबसे बड़े डाटा (world’s largest data databases) डामें करीब 75 करोड़ भारतीयों का डाटा (Data of about 75 crore Indians) भी शामिल है। मदर ऑफ ऑल लीक (एमओएबी) (Mother of All Leaks (MOAB)) कहे जा रहे इस डाटा लीक की 320 करोड़ डाटा एंट्री (320 crore data entries of data leak) हैं। 12 टेराबाइट (टीबी) के इस डाटासेट में से करीब 1.8 टीबी में 75 करोड़ भारतीयों के मोबाइल नंबर, घर का पता और आधार शामिल हैं। डार्कवेब पर भारतीय डाटा को बेचने का दावा करने वाले साइबोडेविल का कहना है कि कंप्रेस करने के बाद 600 जीबी में यह डाटा उपलब्ध कराया जा सकता है। साइबोडेविल ने पूरे डाटा सेट के लिए 3,000 डॉलर यानी करीब 2.5 लाख रुपये की मांग की है।
साइबर सुरक्षा फर्म क्लाउडसेक के मुताबिक, एमओएबी को अंजाम देने वाले साइबो क्रू के सहयोगी साइबोडिविल और यूनिट 8,200 ने बिक्री के लिए जिस डाटाबेस को पेश किया है, वह भारतीय मोबाइल नेटवर्क प्रदाता कंपनियों से जुड़ा है। अगर साइबर अपराधियों का दावा सच है, तो देश की 85 फीसदी आबादी का डाटा महज 2.5 लाख रुपये में बिकाऊ होना साइबर सुरक्षा के साथ ही संपूर्ण सुरक्षा के लिहाज से भी जोखिम पैदा करता है।
डाटा सुरक्षा पर सवाल
क्लाउडसेक के मुताबिक, यह डाटा लीक देश के सभी दूरसंचार सेवा प्रदाताओं की डाटा सुरक्षा पर सवालिया निशान भी खड़ा करता है। हालांकि, अभी इस संबंध में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी कि डाटा कहां से लीक हुआ है, लेकिन क्लाउडसेक के शोधकर्ताओं के मुताबिक डाटा लीक का स्रोत सेवा प्रदाता कंपनियों की तरफ से किए जाने वाला केवाईसी डाटा हो सकता है
खतरे में पड़ सकती है लोगों की सुरक्षा
क्लाउडसेक के खतरा खुफिया और सुरक्षा अनुसंधानकर्ता स्पर्श कुलश्रेष्ठ के मुताबिक, दूरसंचार सेवा प्रदाताओं और सरकार को जल्द से जल्द इस लीक डाटा को सत्यापित करना चाहिए और डाटा स्टोरेज व सुरक्षा की खामियों की पहचान करते हुए साइबर अपराधियों से निपटना चाहिए। व्यक्तिगत रूप से पहचान योग्य जानकारी (पीआईआई) के लीक होने से बहुत से लोगों और संगठनों के लिए एक खतरे पैदा होते हैं, जिससे संभावित रूप से वित्तीय नुकसान, पहचान की चोरी, प्रतिष्ठा की क्षति और साइबर हमलों की संभावना बढ़ जाती है।
पिछले वर्ष जुलाई में दी थी धमकी
साइबोक्रू समूह के सदस्यों ने पहले जुलाई 2023 में सरकारी लुकअप क्षमताओं सहित भारतीय फोन नंबर केवाईसी विवरण तक रियल टाइम पहुंच का दावा किया था। साइबोक्रू समूह को भारतीय मोबाइल नेटवर्क उपभोक्ता डाटाबेस के साथ-साथ 81.5 करोड़ आधार और पासपोर्ट रिकॉर्ड तक पहुंच का दावा करते हुए, भारतीय वाहन डाटाबेस तक एपीआई एक्सेस बेचते हुए भी देखा गया है।
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