लंदन। भारत और ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौता (FTA) को लेकर चल रही वार्ता के तय समय पर पूरी होने की राह में डाटा स्थानीयकरण बड़ा मुद्दा बनकर उभरा है। साथ ही ब्रिटिश कंपनियों को भारत सरकार के ठेकों में बोली लगाने की मंजूरी देने जैसा मुद्दा भी बड़ी अड़चन के तौर पर सामने आया है।
ब्रिटिश समाचारपत्र ‘द डेली टेलीग्राफ’ ने एफटीए वार्ता से जुड़े एक शख्स के हवाले से प्रकाशित रिपोर्ट में कहा है कि विदेशी कंपनियों को डाटा भंडार भारत में ही सुरक्षित रखने से संबंधित डाटा स्थानीयकरण नियम और भारत के सार्वजनिक क्षेत्र के ठेकों में ब्रिटिश कंपनियों को बोली लगाने की मंजूरी देने का मुद्दा इस विस्तृत समझौते के लिए गतिरोध बन गए हैं। दोनों ही देशों ने इस महीने दिवाली तक एफटीए वार्ता पूरी होने और एक समझौता संपन्न करने की समयसीमा तय की हुई है।
इसके लिए 24 अक्तूबर से पहले सहमति बनाने की कोशिशें चल रही हैं लेकिन इन मुद्दों के सामने आ जाने से व्यापक समझौते पर संशय मंडराने लगा है। इस करीबी सूत्र ने कहा कि समझौते की राह में पैदा हुए गतिरोध समय के साथ ही खत्म होंगे। यह व्यापार समझौता चाहे कितना भी महत्वाकांक्षी और व्यापक क्यों न हो, इसमें समय लगने की स्थिति बनती दिख रही है।
ऐसे हालात में 24 अक्तूबर की तय समयसीमा पर दोनों देश एक प्रतीकात्मक व्यापार समझौते की घोषणा कर विस्तृत समझौते को भविष्य के लिए टाल सकते हैं। ब्रिटेन की व्यापार मंत्री केमी बेडनोच ने हाल ही में कहा था कि भारत के साथ एफटीए पर वार्ता अटक जाने का यह मतलब नहीं है कि बाद में भी इस दिशा में कुछ नहीं किया जा सकता है।
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