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    डार्कनेट बना साइबर अपराधियों का गूगल, ठगी के रुपए के लिए बिकते हैं बैंक खाते

  • May 18, 2023

    • – बिटकॉइन और क्रिप्टो में होता है लेन-देन
    • – दस हजार या दस डॉलर में मिल जाता है खाता

    इंदौर, मेघश्याम आगाशे। कोई भी जानकारी चाहिए तो आजकल लोग गूगल गुरु को सर्च करते हैं। इसी तरह अब साइबर ठगोरे (cyber frauds) बैंक खाते से लेकर ठगी के लिए लगने वाले टूल के लिए डार्कनेट सर्च करते हैं। डार्कनेट (darknet) पर एड देकर बैंक खाते बिकते हैं, जो साइबर ठगोरे खरीदते हैं। इसका लेन-देन क्रिप्टो में होता है। दस हजार में एक बैंक खाता बिक रहा है। यह जानकारी पुलिस गिरफ्त में आए ठगों से हुई पूछताछ में सामने आई है।

    साइबर ठगी की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। इंदौर में क्राइम ब्रांच के पास रोजाना 50 शिकायतें पहुंच रही हैं। इनमें ठगी के शिकार हर वर्ग के लोग हैं। ठगी के लिए साइबर ठगोरे वॉयलेट में पहले पैसा ट्रांसफर करते हैं, फिर किसी बैंक खाते में डालकर उसे निकालते हैं। इसके लिए उनको बैंक खातों की आवश्यकता होती है। अब वे डार्कनेट से बैंक खाते खरीद रहे हैं। बताते हैं कि इस पर कई तरह के एड होते हैं। जिसको बैंक खाता बेचना होता है इस पर सर्च कर वे उससे संपर्क करते हैं और बैंक खाता खरीदते हैं। इसका लेन-देन बिटकॉइन और क्रिप्टो में होता है। दस हजार में बैंक खाता बिक रहा है। कुछ ठग दस से बीस डॉलर में भी खाता खरीद रहे हैं। बैंक खाता खरीदने वाले को खाते के साथ क्रेडिट कार्ड भी उपलब्ध करवाया जाता है, ताकि पैसा निकाला जा सके। ये खाते ऐसे लोगों के होते हैं, जो छोटा-मोटा काम करते हैं। पुलिस को यहां तक पहुंचने में परेशानी होती है। यदि पहुंच भी जाती है तो सरगना तक नहीं पहुंच पाती है। डीसीपी क्राइम निमिष अग्रवाल ने बताया कि कुछ मामलों में जब साइबर ठगोरों को पकड़ा गया तो उन्होंने बताया कि डार्कनेट से बैंक खाते दस हजार में खरीदे थे।


    ऑनलाइन सट्टा में भी फर्जी बैंक खाते
    डीसीपी ने बताया कि कुछ दिन पहले ऑनलाइन सट्टे और ऑनलाइन गेम ऐप से हुई ठगी में कुछ ठगों को पकड़ा गया था तो उन्होंने बताया कि डार्कनेट से बैंक खाते खरीदे थे। उनका कहना है कि हर राज्य के खाते डार्कनेट पर उपलब्ध हैं। पहले केवल पश्चिम बंगाल, ओडिशा, बिहार, झारखंड और राजस्थान के खाते मिलते थे, लेकिन अब हर राज्य के खाते बिक रहे हैं।

    ड्रग्स और हथियारों का भी लेन-देन
    पुलिस अफसरों का कहना है कि इंदौर में तो कोई मामला पकड़ में नहीं आया है, लेकिन डार्कनेट पर ड्रग्स और हथियारों की खरीद-फरोख्त भी हो रही है। इसके अलावा शैल कंपनियों के माध्यम से कालेधन को सफेद करने के लिए भी डार्कनेट पर खाते खरीदने और बेचने का काम चल रहा है। कुछ समय पहले साइबर सेल ने मुंबई से एक आरोपी को पकड़ा था। उसने डार्कनेट पर डॉलर में ठगी के लिए बैंक खाते खरीदे थे।

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