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तीसरे विश्व युद्ध का खतरा बढा, जानें इस संकट से कैसे निपटेगा भारत?

October 24, 2024

नई दिल्ली। ईरान-इजरायल (Iran-Israel) में बढ़ता तनाव, इजरायल-हमास (Israel-Hamas), इजरायल-लेबनान (Israel-Lebanon) में हमले, रूस-युक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) का लंबा खिंचना यानी वैश्विक स्तर पर जो माहौल बन रहा है, उससे तीसरे विश्व युद्ध (Third World War) का खतरा बढ़ रहा है। अगर ऐसी स्थिति आती है तो भारत की अर्थव्यवस्था पर भी बड़ा असर दिखाई देगा। आज भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया के बाकी देशों पर काफी हद तक निर्भर है। ऐसे में भारत इस संकट से कैसे निपटेगा।


1. कच्चे तेल का प्रबंध
भारत में तेल की वर्तमान खपत 4.5 मिलियन बैरल प्रतिदिन की है। सरकारी कंपनियों के पास 64.5 दिन की मांग के अनुरूप कच्चे तेल व पेट्रोलियम उत्पाद के भंडार करने की क्षमता है। इसको बढ़ाकर 74 दिन किया गया है और सरकार 6.5 मिलियन मीट्रिक टन की अतिरिक्त भंडार क्षमता को विकसित करने पर काम कर रही। इसके विकसित होने पर 12 दिन का अतिरिक्त तेल भंडार उपलब्ध होगा। अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के अनुसार सदस्य देश के पास 90 दिन के बराबर तेल भंडार होना चाहिए। बदलते परिवेश में भारत करीब 60 फीसदी कच्चा तेल रूस से आयात कर रहा है। जबकि, शेष खाड़ी देशों से आयात किया जा रहा है।

2. रिकॉर्ड स्तर पर मुद्रा भंडार
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 701 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर से पार पहुंचा है, जो देश की अर्थव्यवस्था के लिहाज से काफी अहम है। विदेशी मुद्रा भंडार बीमा की तरह काम करता है, जिससे सामान्य परिस्थिति से लेकर संकट के समय में दूसरे देशों से कच्चे तेल से लेकर अन्य जरूरी सामान की खरीद करने में मदद मिलती है। आर्थिक रूप से देखा जाए तो विदेशी मुद्रा भंडार में इजाफा देश की अर्थव्यवस्था पर वैश्विक वित्तीय बाजार के जोखिमों को कम कर देता है।

3. लाल सागर में हालात सुधरे
तमाम चिंताओं के बीच बीते सप्ताह केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने अनौपचारिक बातचीत में कहा कि वैश्विक स्तर पर तनाव की स्थिति है लेकिन भारत के लिए चिंता की बात नहीं है। अब स्थिति सामान्य हो रही है। लाल सागर से मालवाहक वाहनों की आवाजाही शुरू हो गई है और भारत का निर्यात बढ़ रहा है।

4. नहीं बढ़ेंगे पेट्रोल-गैस के दाम
केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने दो दिन पहले ही पेट्रोल व गैस की कीमतों में बढ़ोत्तरी को लेकर कहा कि भारत में पेट्रोलियम का पर्याप्त भंडार है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी कच्चे तेल की कोई कमी नहीं है। इसलिए भारत में कीमतों में कोई इजाफा नहीं होगा।

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