दमोह। दमोह (Damoh) उपचुनाव में मिली हार के बाद अब भाजपा संगठन में टकराव बढ़ता दिखाई दे रहा है। दरअसल जयंत मलैया (Malaiya) को पार्टी की तरफ से मिले कारण बताओ नोटिस (Notice) और पांच मंडल अध्यक्षों को निलंबित किए जाने के बाद पार्टी संगठन दो फाड़ नजर आ रहा है। बता दें कि शनिवार को दमोह से बीजेपी के जिला महामंत्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस (Press Conference) कर पार्टी नेतृत्व के फैसले से नाराजगी जाहिर की है और राहुल लोधी (Rahul Lodhi) को ही हार के लिए जिम्मेदार ठहरा दिया है।
संगठन में टकराव
नेतृत्व के फैसले पर जहां जिला अध्यक्ष ने चुप्पी साध ली है। वहीं जिला महामंत्री रमन खत्री ने मोर्चा खोल दिया है। रमन खत्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कई राज खोले। खत्री ने कहा कि कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए राहुल लोधी को प्रत्याशी बनाए जाने को लेकर पार्टी ने पहले जितने भी सर्वे कराए थे। उन तमाम सर्वे में जनता ने राहुल लोधी को नकार दिया था। इसके बावजूद शीर्ष नेतृत्व ने राहुल लोधी को उम्मीदवार बनाया।
संगठन पर साधा निशाना
रमन खत्री ने पार्टी नेतृत्व को भी आड़े हाथों ले लिया। उन्होंने कहा कि जब चुनाव के वक्त पूरा पार्टी नेतृत्व दमोह में कैंप कर रहा था, उस वक्त नेतृत्व की नजरें कार्यकर्ताओं पर क्यों नहीं गई? भीतरघात के आरोपों पर दमोह बीजेपी जिला महामंत्री रमन खत्री ने कहा कि भीतरघात से हजार-पांच सौ वोट से चुनाव प्रभावित हो सकता है लेकिन 17 हजार वोटों से नहीं हारा जा सकता।
निलंबन वापस लो
रमन खत्री ने शीर्ष नेतृत्व से मांग की सभी मंडल अध्यक्षों के साथ सिद्धार्थ मलैया का निलंबन वापस लिया जाए और जयंत मलैया को भेजा गया कारण बताओ नोटिस भी वापस लिया जाए। बता दें कि शुक्रवार को पार्टी ने बड़ा कदम उठाते हुए दमोह उपचुनाव में हार के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता जयंत मलैया को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। साथ ही सिद्धार्थ मलैया समेत पांच मंडल अध्यक्षों को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया था।
कांग्रेस विधायक भी मलैया के साथ
वहीं इस पूरे मामले के बीच दमोह से जीत हासिल करने वाले कांग्रेस विधायक अजय टण्डन भी जयंत मलैया के समर्थन में आ गए हैं। अजय टंडन ने कहा कि हार की जिम्मेदारी सीएम शिवराज और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा की है। अजय टंडन ने कहा कि हार का ठीकरा जयंत मलैया पर फोड़ा जा रहा है।
सामने आया नेताओं का पुराना विवाद
दमोह चुनाव में हार के बाद भाजपा नेताओं का पुरानी सियासी विवाद सामने आ गया है। लोकसभा चुनाव से पहले प्रहलाद पटेल के खिलाफ गोपाल भार्गव, जयंत मलैया के साथ पूर्व विधायक लखन पटेल, तत्कालीन दमोह जिला अध्यक्ष देवनारायण श्रीवास्तव समेत अन्य भाजपा नेताओं ने हाईकमान को पत्र भेजकर पटेल को लोकसभा टिकट देने का विरोध किया था। इसके बाद से ही पटेल और गोपाल भार्गव के बीच पटरी नहीं बैठती है, इसलिए उपचुनाव में मंत्री भूपेंद्र सिंह को प्रभारी बनाया था। बताया गया कि हाल ही में कोरोना की समीक्षा बैठक में केंद्रीय मंत्री पटेल और गोपाल भार्गव के बीच बहस भी हो गई थी। बात बढ़ते ही मुख्यमंत्री ने दोनों को यह कहते हुए चुप करा दिया कि अलग से बात करेंगे। दमोह में ऑडियो वायरल हो गया था, जिसमें कोरोना संक्रमित का एक रिश्तेदार ने भार्गव से मदद मांगी थी। भार्गव ने उससे पूछा था कि सांसद से बात नहीं हुई क्या? इस पर उसने कहा कि वे तो दिल्ली में रहते हैं। वे मदद नहीं कर रहे हैं।
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