नई दिल्ली । चीन द्वारा तिब्बत (Tibet by China)में यारलुंग त्सांगपो (Yarlung Tsangpo) नदी पर बनाए जा रहे मेगा जलविद्युत डैम (Mega Hydroelectric Dam)को लेकर भारत ने गंभीर चिंताएं व्यक्त की हैं। भारत का कहना है कि इस परियोजना से निचले बहाव वाले देशों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। विशेष रूप से भारत और बांगलादेश की नदियों को नुकसान हो सकता है। भारत की इस चिंत पर चीन ने शनिवार को प्रतिक्रिया दी है। ड्रैगन ने आश्वासन दिया है कि इस परियोजना को दशकों तक विस्तार से अध्ययन किया गया है। इसका उद्देश्य पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा के साथ-साथ कोई भी नकारात्मक प्रभाव न डालने की कोशिश करना है।
भारत ने शुक्रवार को कहा कि उसने इस मुद्दे को चीन के सामने उठाया है और चीन से यह आग्रह किया है कि वह किसी भी निर्माण कार्य को आगे बढ़ाने से पहले निचले बहाव वाले देशों के हितों का ध्यान रखे। भारत की चिंता इस बात को लेकर है कि बांध का निर्माण जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण को नुकसान और निचले इलाकों में जल संकट पैदा कर सकता है।
अमेरिकी NSA जेक सुलिवन की भारत यात्रा
इस बीच वॉशिंगटन से शनिवार को आई रिपोर्टों के अनुसार अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन भारत के दौरे पर 5-6 जनवरी को आ रहे हैं। सुलिवन भारतीय अधिकारियों के साथ इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे। यह भी बताया गया कि सुलिवन अपनी यात्रा के दौरान भारत-अमेरिका द्विपक्षीय सहयोग की महत्वपूर्ण उपलब्धियों को साझा करेंगे, जिसमें महत्वपूर्ण और उभरती हुई प्रौद्योगिकियों पर सहयोग भी शामिल होगा। एक अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि “हमने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में देखा है कि चीन द्वारा बनाए गए जलविद्युत बांध, जैसे कि मेकोंग क्षेत्र में निचले देशों पर गंभीर पर्यावरण और जलवायु संबंधी प्रभाव डाल सकते हैं।”
चीन का आश्वासन
चीन के दूतावास ने शनिवार को एक बयान जारी किया, जिसमें कहा गया कि चीन हमेशा पारिस्थितिकीय सुरक्षा के लिए जिम्मेदार रहा है और यारलुंग त्सांगपो नदी के निचले हिस्सों में जलविद्युत परियोजनाओं का उद्देश्य साफ ऊर्जा का उत्पादन के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन तथा अत्यधिक जलवायु आपदाओं का सामना करना है। चीन ने यह भी कहा कि परियोजना के लिए सुरक्षा उपायों को दशकों तक अध्ययन किया गया है और यह निचले बहाव क्षेत्रों पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं डालेगी।
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता यू जिंग ने कहा, “हमारे जलविद्युत विकास के लिए किए गए अध्ययन में पारिस्थितिकीय सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया है। परियोजना का उद्देश्य निचले क्षेत्रों पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न डालना है।”
भारत और बांगलादेश की चिंताएं
चीन द्वारा यारलुंग त्सांगपो नदी पर विश्व के सबसे बड़े जलविद्युत बांध की निर्माण योजना को मंजूरी देने की रिपोर्ट पिछले महीने सामने आई थी। यह बांध भारतीय सीमा के पास अरुणाचल प्रदेश और बांगलादेश के लिए महत्वपूर्ण ब्रह्मपुत्र नदी के विशाल घाटी में बनने वाला है। इससे निचले बहाव देशों जैसे भारत और बांगलादेश में जलवायु परिवर्तन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। भारत और बांगलादेश पहले से ही इस परियोजना को लेकर चिंतित हैं।
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