पटना। बिहार की राजनीति में हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी दलित चेहरा माने जाते हैं। ऐसे में महागठबंधन से मांझी के अलग होने का ऐलान विपक्षी दलों के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। हालांकि, इसके साथ ही आरजेडी अलर्ट हो गई है। यही वजह है कि मांझी फैक्टर को चुनौती देने और दलित सिसायत को साधने के लिए एक साथ चार-चार नेताओं को मैदान में उतार दिया। इन नेताओं ने एक स्वर में कहा कि केंद्र सरकार और बिहार सरकार पिछड़े वर्ग के लोगों के हितैषी नहीं है। सबसे खास बात है कि यह आरोप आरजेडी के एक दो नहीं, बल्कि चार-चार नेताओं ने एक साथ, एक समय में लगाया है। शुरुआत बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने की। इन्होंने कहा कि राज्य सरकार पिछड़ी जाति के खिलाफ हाथ धो कर काम कर रही है। अपनी बातों को बल देने के लिए उदय नारायण चौधरी ने कहा कि साजिश के तहत राज्य सरकार वैसे तमाम अधिकारियों को चुन-चुन कर भ्रष्टाचार के आरोप में जेल भेजने का काम कर रही है जो पिछड़े वर्ग से आते हैं।
पूर्व मंत्री रमई राम ने भी कहा कि राज्य सरकार दलित विरोधी है। दलित वर्गों के लिए कुछ नहीं किया। सिर्फ और सिर्फ वोट बैंक के तौर पर इस्तेमाल किया है। एक अन्य पूर्व मंत्री श्याम रजक ने कहा कि मौजूदा सरकार ने पिछड़ी जातियों के साथ सिर्फ अन्याय किया है। कभी भी न्याय करने का काम नहीं किया। अपनी बातों को बल देने के लिए श्याम रजक ने कहा कि UPSC से लेकर BPSC तक कहीं भी दलित समाज के लोगों को सदस्य के तौर पर नियुक्त नहीं किया गया।
पूर्व मंत्री शिवचंद्र राम ने कहा कि कहने के लिए नीतीश सरकार ने महादलित आयोग का गठन किया, लेकिन आज तक उसमें न तो अध्यक्ष नियुक्त किया गया और न ही सदस्य। वर्तमान सरकार सिर्फ लोगों के आंख में धूल झोंकने का काम कर रही है। RJD नेताओं के तरफ से केंद्र और बिहार सरकार पर लगाए गए आरोपों का जवाब बीजेपी नेता सम्राट चौधरी ने दिया है।
सम्राट चौधरी ने कहा कि इन तमाम लोगों को SC-ST वर्ग के लोगों की चिंता नहीं है। इन लोगों को सिर्फ खुद की चिंता है। ये लोग इस फिराक में हैं कि किसी भी तरह से सत्ता में वापस आ जायें, लेकिन, इन लोगों का यह सपना अब सपना ही रहेगा। कामयाबी इन लोगों को मिलने वाली नहीं, क्योंकि प्रदेश की जनता नीतीश और मोदी के जोड़ी को पसंद करती है।
गुरुवार को आरजेडी ने श्याम रजक, उदय नारायण चौधरी, रमई राम समेत अन्य तीन दलित दिग्गज नेताओं के जरिए प्रेस कॉन्फ्रेंस करा कर जेडीयू को यह संकेत दे दिया है कि मांझी के जाने से उनकी राजनीति पर कोई असर नहीं पड़ा है। बहरहाल, अब तो यह अगामी बिहार विधानसभा चुनाव का परिणाम के बाद ही यह स्पष्ट होगा की दलित वर्ग के लोग किसे पसंद करते है और किसे नापसंद।
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