नई दिल्ली: कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) असंगठित क्षेत्र यानी दिहाड़ी मजदूरी और छोटे-मोटे काम करने वाले श्रमिकों को बड़ी सौगात देने की तैयारी कर रहा है. ईपीएफओ की प्रस्तावित पेंशन स्कीम में इन मजदूरों को शामिल किया जा सकता है. दरअसल कर्मचारी भविष्य निधि संगठन अपनी पेंशन योजना की कवरेज को बढ़ा सकता है.
इस नई योजना के व्यक्तिगत योगदान पर आधारित होने का प्रस्ताव है, जो कि यह सुनिश्चित करती है कि प्रत्येक कर्मचारी को 60 वर्ष की आयु के बाद न्यूनतम 3,000 रुपये प्रति माह पेंशन मिले. इस प्रस्तावित योजना को यूनिवर्सल पेंशन स्कीम नाम दिया जा सकता है, जिसका मकसद मौजूदा कर्मचारी पेंशन योजना (EPS), 1995 की विभिन्न चुनौतियों का समाधान करना है. इसमें 15,000 रुपये प्रति माह से अधिक कमाने वाले कर्मचारियों के लिए कोई कवरेज नहीं है, बल्कि एक साधारण पेंशन राशि का प्रावधान है.
नई योजना में रिटायरमेंट पेंशन, विधवा पेंशन, बच्चों की पेंशन और विकलांगता पेंशन का प्रावधान होगा. हालाँकि इस पेंशन लाभ के लिए सेवा की न्यूनतम योग्यता अवधि 10 से बढ़ाकर 15 वर्ष कर दी जाएगी. अगर किसी सदस्य की मृत्यु 60 वर्ष की आयु से पहले हो जाती है तो यूनिवर्सल पेंशन स्कीम के तहत परिवार को पेंशन दी जाएगी.
हर महीने 3 हजार पेंशन पाने के लिए जमा करनी होगी इतनी रकम
हर महीने न्यूनतम 3,000 रुपये पेंशन के लिए कुल 5.4 लाख रुपये जमा करने की जरूरत होगी. ईपीएफओ के सर्वोच्च निर्णय लेने वाले निकाय सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज (CBT) द्वारा स्थापित एक समिति ने कहा कि ईपीएफओ सदस्य स्वेच्छा से अधिक योगदान का विकल्प भी चुन सकते हैं और ज्यादा पेंशन के लिए बड़ी राशि जमा कर सकते हैं. वर्तमान समय में 20 से अधिक श्रमिकों वाले प्रतिष्ठानों में प्रति माह 15,000 रुपये तक कमाने वाले श्रमिकों के लिए ईपीएफ योगदान अनिवार्य है.
प्रत्येक कर्मचारी अपने मूल वेतन का 12% ईपीएफ योजना में देता है. ईपीएफ में योगदान करने वाले सभी लोगों के लिए ईपीएस अनिवार्य है. नियोक्ता के योगदान में से 8.33% पेंशन योजना में जमा किया जाता है, जो प्रति माह 15,000 रुपये की वेतन सीमा के आधार पर 1,250 रुपये प्रति माह की सीमा के अधीन है.
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