कोलकाता। ‘जवाद’ (Cyclone Jawad) बंगाल की खाड़ी(Bay of Bengal) में बन रहे एक चक्रवाती तूफान (Cyclone Jawad) का नाम है. इसके सक्रिय होने से दक्षिण बंगाल(South Bengal) के कई जिलों में तेज हवाओं के साथ भारी से बहुत भारी बारिश होने की संभावना है. एक रक्षा अधकारी (defense officer) ने बताया कि तटरक्षक ने समुद्र में जानमाल की सुरक्षा के लिए कदम उठाने शुरू(take steps to protect) कर दिए हैं. जहाजों और विमानों को मौसम के बारे में चेतावनी (Weather Alert) देने के काम में लगा दिया है. पश्चिम बंगाल सरकार (Government of West Bengal) ने कहा है कि उसने तटीय इलाकों में राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (National Disaster Response Force) की दो टीम और राज्य आपदा मोचन बल (State Disaster Response Force) की दो टीम तैनात करने का फैसला किया है. साथ ही निचले इलाकों में रह रहे लोगों को हटाया जा रहा है.
पीएम मोदी ने की समीक्षा बैठक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चक्रवात ‘जवाद’ से निपटने की राज्यों, केंद्र सरकार के मंत्रालयों और संबंधित एजेंसियों की तैयारियों की एक उच्च स्तरीय बैठक में समीक्षा की और अधिकारियों को जान व माल की सुरक्षा सुनिश्चित करने के निर्देश दिए. पीएमओ के मुताबिक प्रधानमंत्री ने अधिकारियों को लोगों को सुरक्षित ठिकानों पर पहुंचाने के लिए हरसंभव कदम उठाने, बिजली, दूरसंचार, स्वास्थ्य और पेयजल जैसी आवश्यक सेवाओं का रखरखाव सुनिश्चित करने व इनमें किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न होने पर उन्हें तत्काल बहाल करने का निर्देश दिया. पीएम मोदी ने दवाओं की पर्याप्त उपलब्धता और उनकी आपूर्ति सुनिश्चित करने और निर्बाध आवागमन सुनिश्चित करने के साथ ही चौबीसों घंटे काम करने वाले कंट्रोल रूम स्थापित करने का निर्देश दिया.
क्या हैं तैयारियां?
गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को एसडीआरएफ की पहली किस्त अग्रिम तौर पर जारी कर दी है। एनडीआरएफ ने 29 टीमों को पहले से तैनात किया है, जो राज्यों में नावों, पेड़ काटने की मशीन, दूरसंचार उपकरणों आदि से लैस हैं और 33 टीमों को स्टैंडबाय पर रखा गया है. एहतियात के तहत भारतीय तटरक्षक बल और नौसेना ने राहत, खोज और बचाव कार्यों के लिए जहाज तथा हेलीकॉप्टर तैनात किए हैं जबकि वायु सेना तथा थल सेना की इंजीनियर टास्क फोर्स इकाइयां, नावों और बचाव उपकरणों के साथ तैनाती के लिए तैयार हैं. एनडीआरएफ संवेदनशील स्थानों से लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए राज्य एजेंसियों को उनकी तैयारियों में सहायता कर रहा है और चक्रवात की स्थिति से निपटने के लिए लगातार सामुदायिक जागरूकता अभियान भी चला रहा है.
क्यों इस तूफान का नाम ‘जवाद’ रखा गया?
बताया जा रहा है कि सऊदी अरब के सुझाव पर इस तूफान का नाम ‘जवाद’ रखा गया है. जवाद एक अरबी शब्द है, जिसका अर्थ ‘उदार’ होता है. कहा जा रहा है कि पहले आए चक्रवाती तूफानों की तुलना में ये चक्रवात ज्यादा तबाही नहीं मचाएगा और इसका आम जनजीवन पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा. हालांकि आईएमडी यानी भारतीय मौसम विभाग ने कहा है कि चार दिसंबर की सुबह हवा की गति अधिकतम 100 किमी प्रति घंटा होगी.
कैसे होता है तूफानों का नामकरण
चक्रवातों के नामकरण की शुरूआत अटलांटिक क्षेत्र में 1953 में हुई एक संधि से की गई थी. जबकि हिंद महासागर क्षेत्र में यह व्यवस्था साल 2004 से शुरू हुई. किसी भी साइक्लोन के नामकरण के लिए सदस्य देश अपनी ओर से नामों की सूची देते हैं. इसके बाद उनकी अल्फाबेटिकल लिस्टिंग की जाती है. उसी क्रम में सुझाए गए नाम पर तूफानी चक्रवातों का नामकरण किया जाता है. हर बार अलग-अलग देशों का क्रम से नंबर आता है और इसी क्रम में जिस देश ने जो नाम दिया चक्रवात का नाम उसी देश के द्वारा दिए गए नाम पर पड़ जाता है.
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