इंदौर। शहर में हर साल चोरियों और लूट में लोगों का जितना रुपया जाता है, उससे दोगुना से अधिक 25 करोड़ इस साल साइबर ठग ले गए। दोनों में फर्क इतना है कि चोरी, लूट में पुलिस केस दर्ज कर लेती है और साइबर ठगी के मामले केवल शिकायत में ही दर्ज रहते हैं। यदि ठगी के मामले दर्ज होने लगे तो इंदौर शहर के अपराध का ग्राफ दोगुना हो जाएगा। पिछले कुछ सालों से यूं तो पूरे देश में साइबर अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं, लेकिन इंदौर में भी यह आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। शहर में हर साल सभी थानों में दर्ज होने वाले चोरी और लूट के मामलों में शहर के लोगों का लगभग 12 करोड़ रुपए चला जाता है। हालांकि चोरी 10 लाख की होती है तो पुलिस केस दो लाख का दर्ज होता है। यदि इसे भी मिला लिया जाए तो शहर में चोरी और लूट में हर साल 20 करोड़ से अधिक का चूना इंदौरी जनता को लगता है। इस साल के 11 माह की बात करें तो साइबर ठगी ने सभी रिकार्ड तोड़ दिए हैं। इस साल अब तक 25 करोड़ से अधिक की ठगी इंदौरियों के साथ हुई है। डीसीपी क्राइम निमिष अग्रवाल का कहना है कि चोरी-लूट से दोगुना पैसा इस साल अब तक साइबर ठगी में गया है।
4 करोड़ वापस करवाने में सफल रही क्राइम ब्रांच
डीसीपी का कहना है कि चोरी और लूट के आरोपी ज्यादातर मामलों में स्थानीय होते हैं। इसके चलते पुलिस 30 प्रतिशत से अधिक राशि ही बरामद भी पाती लेती है, क्योंकि साइबर ठग या तो दूसरे शहरों या फिर विदेश में होते हैं। इसके चलते पुलिस उन तक नहीं पहुंच पाती है और 10 प्रतिशत मामलों में ही पुलिस आरोपियों को पकड़ पाती है। उनका कहना है कि इससे बचने का तरीका जागरूकता है। इसके लिए पुलिस स्कूल-कॉलेज सहित कई स्थानों पर जागरूकता के लिए कार्यशाला लगाती है, वहीं पुलिस ने लोगों की मदद के लिए साइबर हेल्पलाइन नंबर जारी कर रखा है। पुलिस समय रहते शिकायत करने वालों के इस साल 4 करोड़ रुपए वापस करवा चुकी है।
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