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    पुलिस के लिए चुनौती बने साइबर ठग, 6 माह में दिल्लीवासियों से ठगे डेढ़ अरब रुपये

  • September 29, 2023

    नई दिल्ली (New Delhi)। सख्ती के तमाम दावे और जागरूकता कार्यक्रमों के बावजूद राष्ट्रीय राजधानी (National capital) में साइबर अपराध के मामले (Cyber ​​crime cases) मात्र दो वर्ष में ही चार गुना तक बढ़ गए हैं। इस वर्ष के शुरुआती छह माह में ही लगभग 1.68 अरब रुपये की ठगी (Fraud Rs 1.68 billion just six months) के मामले सामने आ चुके हैं। पिछले वर्ष इसी अवधि में दिल्लीवासी लगभग 42 करोड़ रुपये की ठगी (Fraud of Rs 42 crore) का शिकार हुए थे।

    विशेष बात यह है कि ठगी की रकम को पीड़ितों तक पहुंचाने की दर बेहद कम है। पुलिस ने इस वर्ष के छह माह में सिर्फ 5.6 लाख रुपये ही साइबर अपराध के पीड़ितों को वापस दिला पाई है। साइबर अपराध से जुड़ी शिकायतों पर गौर करें तो इस वर्ष शिकायतें भी पिछले वर्ष की तुलना में तीन गुना अधिक दर्ज की गई हैं। गत वर्ष उक्त समय अवधि के दौरान विभिन्न प्रकार की साइबर अपराध से जुड़ी लगभग साढ़े सात हजार शिकायतें दर्ज की गई थीं। इस वर्ष 25 हजार शिकायतें दर्ज की गई हैं।


    पुलिस अधिकारियों का कहना है कि वर्तमान में फेक कॉल स्कैम, क्रिप्टोकरंसी में निवेश और वर्क फ्रॉम होम के नाम पर अधिक ठगी हो रही है। फेक कॉल स्कैम में ठग पीड़ितों को खुद को बैंक अधिकारी, निवेश कंपनी का अधिकारी या तकनीकी अधिकारी बताते हैं।

    एक बार जब उन्हें पीड़ित का डाटा, जैसे- क्रेडिट कार्ड विवरण, ओटीपी, नेट बैंकिंग पासवर्ड या अन्य विवरण मिल जाते हैं, तो वे पैसे उड़ा लेते हैं। क्रिप्टो करंसी में निवेश के नाम पर ठग नकली वेबसाइट बनाते हैं और लोगों को स्टाक ट्रेडिंग या बिटकाइन में निवेश करने का लालच देते हैं।

    टेलीग्राम और वाट्सएप ग्रुप का उपयोग करके गिरोह के सदस्य लोगों को पैसा निवेश करने के लिए बड़े पैमाने पर मैसेज भेजते हैं। जैसे ही कोई झांसे में आता है, फिर उसे ठगी का शिकार बनाते हैं।

    ठगी की रकम वापस लाना आसान नहीं इस वर्ष एक जनवरी से 30 जून तक सिर्फ 5.6 लाख रुपये ही पीड़ितों को पुलिस वापस दिला पाई है। ठगी के तुरंत बाद ठग बैंक से रकम निकाल लेते हैं। जो रकम बैंक में होती है, उसे सीज कर दिया जाता है। उसके बाद कोर्ट के आदेश पर जांच अधिकारी बैंक से सीज की गई रकम की जानकारी लेता है। पीड़ित को भी संबंधित कोर्ट में जाना होता है।

    इनके जरिए लोगों को बनाया निशाना
    ठगों के बैंक खातों के पते और नाम भी फर्जी होने की वजह से रकम का विवरण निकालने में समय लगता है। इनके जरिये बनाया निशाना ईमेल, डेबिट और क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी, सिम स्वैप धोखाधड़ी, डीमैट धोखाधड़ी, इंटरनेट बैंकिंग, यूपीआइ और ई-वालेट से संबंधित धोखाधड़ी कर बनाया निशाना।

    4 गुना बढ़े दो वर्ष में साइबर ठगी के मामले

    साल                               ठगी की रकम
    2022                               42,63,282
    2023                              1,68,50,12,126
    नोट- यह आंकड़े जनवरी से जून तक के हैं।

    खाते सीज कर पीड़ितों को दिलाई गई रकम
    साल                            बैंक में सीज रकम पीड़ितों को लौटाए
    2022                               2,62,5175 00
    2023                               13,24,03,313 5,79,841
    नोट- दोनों वर्ष के आंकड़े जनवरी से जून तक के हैं।

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